शरण मांगने का अधिकार: अमेरिका की Title 42 योजना के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र ने चिंता जताई
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क ने चेतावनी दी है कि अमेरिका की नयी सीमा प्रवर्तन योजना (U.S. border enforcement plan ) से अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों और शरणार्थी कानून की बुनियादी नींव कमजोर हो सकती है।
- मानवाधिकार के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क ने कहा, “शरण मांगने का अधिकार एक मानवाधिकार है, और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई व्यक्ति कहां जन्म लिया है, उसकी आप्रवासन की स्थिति क्या है, और वह अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कैसे पहुंचा।”
टाइटल 42 (Title 42)
- बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने टाइटल 42 (Title 42) नामक एक विवादास्पद नियम का विस्तार करने के लिए एक नई योजना की घोषणा की है।
- इसके तहत बिना मंजूरी के सीमा पर दिखाई देने वाले अधिक लोगों को तुरंत वापस कर दिया जायेगा और उन्हें शरण नहीं दी जाएगी। यह योजना हर महीने वेनेजुएला, हैती, क्यूबा, निकारागुआ के लगभग 30,000 लोगों को अमेरिकी सीमा से बाहर मेक्सिको में भेजने की अनुमति देती है।
शरण मांगने/लेने का अधिकार (Right to Seek Asylum)
- मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (Universal Declaration of Human Rights) का अनुच्छेद 14 उत्पीड़न से शरण लेने का अधिकार ( right to seek and enjoy asylum) देता है।
- यह घोषणा, अपने देश को छोड़ने के अधिकार/ right to leave one’s own country (अनुच्छेद 13), और राष्ट्रीयता के अधिकार/ right to nationality (अनुच्छेद 15) प्रदान करती है।
- अनुच्छेद 14 यह स्पष्ट करता है कि लोगों को संयुक्त राष्ट्र के उद्देश्यों और सिद्धांतों के विपरीत “गैर-राजनीतिक अपराधों या कार्य” के लिए मुकदमा चलाने से बचने के लिए शरण नहीं दी जा सकती है। इसलिए युद्ध अपराधी, और जो शांति के विरुद्ध अपराध या मानवता के विरुद्ध अपराध के दोषी हैं, वे शरण के योग्य नहीं हैं।
- वर्ष 2016 में, संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों ने सर्वसम्मति से शरणार्थियों और प्रवासियों के लिए न्यूयॉर्क घोषणा पत्र (New York Declaration for Refugees and Migrants) को अपनाया था ताकि पलायन के लिए मजबूर लोगों की रक्षा की जा सके और उन्हें शरण देने वाले देशों की सहायता की जा सके।