वेस्ट टू वेल्थ प्लांट विकसित करने के लिए 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों के साथ किए समझौता ज्ञापन 

वर्ष 2023-2024 के बजट में सप्तर्षि के हरित विकास खंड के तहत सर्कुलर इकॉनमी को बढ़ावा देने के लिए गोबर-धन (GOBARdhan) योजना के तहत 500 नए वेस्ट टू वेल्थ प्लांट्स (Waste to Wealth plants) की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया है।

  • कुल 10,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ इनमें 200 कंप्रेस्ड बायोगैस प्लांट, 75 शहरी क्षेत्रों में, 300 समुदाय या क्लस्टर-बेस्ड प्लांट शामिल होंगे।

वेस्ट टू एनर्जी और बायो-मिथेनेशन प्रोजेक्ट्स

  • इस विजन को ध्यान में रखते हुए आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) और इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड (EIL) ने दस लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में वेस्ट टू एनर्जी और बायो-मिथेनेशन (bio-methanation) प्रोजेक्ट्स विकसित करने के लिए एक (MoU) समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
  • कचरा मुक्त शहर बनाने के विजन से स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के अंतर्गत स्थायी सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पर जोर दिया गया है। इस उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित करते हुए मंत्रालय ने दस लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों की श्रेणी में बड़े पैमाने पर सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग की सुविधाएं स्थापित करने का निर्णय लिया है।
  • भारत में लखनऊ, कानपुर, बरेली, नासिक, ठाणे, नागपुर, ग्वालियर, चेन्नई, मदुरै, कोयंबटूर जैसे दस लाख से ज्यादा आबादी वाले 59 शहर हैं। इन दस लाख से ज्यादा आबादी वाली श्रेणी के शहरों में म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट को बायो-मिथेनेशन प्लांट्स के जैविक/गीले अंश के मैनेजमेंट के लिए प्रस्तावित किया गया है।
  • बता दें कि फरवरी 2022 में प्रधानमंत्री ने इंदौर में एशिया के सबसे बड़े म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट बेस्ड गोबर-धन प्लांट का उद्घाटन किया था, जिसका लक्ष्य 19,000 किलोग्राम बायो-सीएनजी (Bio-CNG) गैस उत्पन्न करना है।
  • स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के तहत, गोबर-धन और ‘सतत’ (SATAT) योजनाओं से जुड़े ये बायो-मिथेनेशन प्लांट अक्षय ऊर्जा के रूप में बायो-CNG का उत्पादन करेंगे।
  • वेस्ट टू एनर्जी प्लांट, म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट से आने वाले सूखे कचरे के अंश का उपयोग करते हैं और ठोस अपशिष्ठ प्रबंधन नियम 2016 का अनुपालन करते हुए निपटानन में कम से कम जगह का उपयोग करके कचरे की मात्रा में अधिकतम कमी के साथ अक्षय ऊर्जा का उत्पादन करते हैं।
  • साथ ही ये पर्यावरण संरक्षण के वैधानिक मानदंडों को पूरा करते हैं। वेस्ट टू एनर्जी और बायो-मीथेनेशन प्रोजेक्ट्स म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट के सूखे और गीले कचरे के अंश घटक से हरित ऊर्जा का उत्पादन करके वेस्ट मैनेजमेंट में सर्कुलैरिटी की अवधारणा को एकीकृत करेंगे। बिजली और बायो-सीएनजी जैसे बाइ-प्रोडक्ट भी वेस्ट मैनेजमेंट के कामों में स्थिरता प्राप्त करने में मदद करेंगे।

बायोमीथेनेशन प्रक्रिया

  • बायोमीथेनेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा कार्बनिक पदार्थों को सूक्ष्म जैविक रूप से अवायवीय परिस्थितियों (anaerobic conditions) में बायोगैस में परिवर्तित किया जाता है।
  • सूक्ष्मजीवों के तीन मुख्य शारीरिक समूह शामिल हैं: फर्मेंटेशन बैक्टीरिया, कार्बनिक अम्ल ऑक्सीकरण बैक्टीरिया और मेथनोजेनिक आर्किया।
  • यह प्रक्रिया अवायवीय के तहत सूक्ष्मजीवों के उपयोग के माध्यम से की जाती है जो ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में ऐसे बायोडिग्रेडेबल कचरे को विघटित करते हैं।
  • बायोगैस में मुख्य रूप से मीथेन (लगभग 60-75%), कार्बन डाइऑक्साइड (लगभग 25-40%) के अलावा NH3 और H2S की थोड़ी मात्रा होती है और इसका कैलोरी मान लगभग 5000 kcal /m3 होता है। अपशिष्ट संरचना के आधार पर, बायोगैस उत्पादन 50-150m3/टन अपशिष्ट से होता है।
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