लोकसभा ने जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण (GSTAT) के गठन को मंजूरी दी
लोकसभा ने 24 मार्च को 64 संशोधनों के साथ वित्त विधेयक, 2023 पारित किया। इन संशोधनों में बहुप्रतीक्षित जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण (GSTAT: GST Appellate Tribunal) की स्थापना करना भी शामिल है।
GSTAT के बारे में
GSTAT कर विवादों से निपटेगा, और हायर जुडिशरी पर बोझ को भी कम करेगा, जिसने बार-बार इस तरह के निकाय की संस्था के गठन की मांग की है।
GSTAT की नई दिल्ली में एक “प्रिंसिपल बेंच” होगी, जिसमें अध्यक्ष, एक न्यायिक सदस्य, एक तकनीकी सदस्य केंद्र सरकार के और एक तकनीकी सदस्य राज्य सरकार के होंगे।
राज्यों में भी इसकी बेंच स्थापित होगी।
संशोधित वित्त विधेयक, 2023 में GSTAT और इसकी बेंचों की स्थापना के लिए केंद्रीय जीएसटी अधिनियम की धारा 109 के प्रतिस्थापन का प्रस्ताव है।
वस्तु और सेवा कर (GST) अपीलीय न्यायाधिकरण की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश या उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश द्वारा की जा सकती है।
CGST अधिनियम का अध्याय XVIII GST शासन के तहत विवाद समाधान के लिए अपील और समीक्षा तंत्र के लिए प्रदान करता है।
CGST अधिनियम के तहत इस अध्याय की धारा 109 केंद्र सरकार को GST काउंसिल की सिफारिश पर, अधिसूचना द्वारा एक अपीलीय न्यायाधिकरण के गठन का प्रावधान करता है।
GSTAT में अपीलीय प्राधिकरण (Appellate Authority) या पुनरीक्षण प्राधिकरण (Revisional Authority) द्वारा पारित आदेशों के खिलाफ अपील की जा सकती है।
1 जुलाई, 2017 को GST शुरू होने के बाद से GSTAT का गठन लंबित है।
1 जुलाई, 2017 से GST को लागू करने वाले कानून में निर्धारितियों और अधिकारियों के बीच विवादों के लिए एक अपीलीय न्यायाधिकरण स्थापित करने का प्रावधान है। हालाँकि इसका गठन नहीं होने की वजह से GST विवाद उच्च न्यायालयों में दायर होते रहे हैं जिससे निपटने में काफी वक्त लग जाता है और इसमें खर्चे भी बहुत होते हैं।
डेब्ट फण्ड संबंधी संशोधन
वित्त विधेयक संशोधन के अनुसार, इक्विटी शेयरों में 35 प्रतिशत से अधिक निवेश नहीं करने वाले डेब्ट फंडों पर आयकर स्लैब के हिसाब से कर लगाया जाएगा और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन के रूप में माना जाएगा।
इसके बाद, डेब्ट म्युचुअल फंड से होने वाले लाभ को निवेशकों की कर योग्य आय में जोड़ा जाएगा और आयकर स्लैब दर पर कर लगाया जाएगा।
वर्तमान में, तीन साल या उससे अधिक समय के लिए रखे गए डेब्ट फंड के रिडेम्पशन पर किसी भी पूंजीगत लाभ को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के रूप में माना जाता है और इस पर इंडेक्सेशन लाभ के साथ 20 प्रतिशत की दर से कर लगाया जाता है।
तीन साल से पहले रिडेम्प्शन पर किसी भी पूंजीगत लाभ को अल्पकालिक पूंजीगत लाभ के रूप में माना जाता है और किसी व्यक्ति की आयकर स्लैब दर पर कर लगाया जाता है।
विदेशी दौरों पर क्रेडिट कार्ड का खर्च
वित्त मंत्रालय ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से विदेशी दौरों के दौरान किए गए क्रेडिट कार्ड भुगतान को केंद्रीय बैंक की उदारीकृत प्रेषण योजना (liberalised remittance scheme: LRS) के तहत लाने के पहलू पर गौर करने को कहा है ताकि ऐसे खर्च के स्रोत पर कर (tax collection at source) लगाया जा सके।
(Note: This article has been edited to add more facts about GSTAT)