भारत में सबमरीन केबल लैंडिंग के लिए लाइसेंसिंग फ्रेमवर्क और नियामक तंत्र पर परामर्श पत्र जारी
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने ‘भारत में सबमरीन केबल लैंडिंग के लिए लाइसेंसिंग फ्रेमवर्क और नियामक तंत्र’ (Licensing Framework and Regulatory Mechanism for Submarine Cable Landing in India) पर परामर्श पत्र जारी किया है।
मुख्य तथ्य
सबमरीन केबल डिजिटल युग की महत्वपूर्ण संचार अवसंरचना हैं और आज की तेज़ गति वाली डेटा संचालित अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं। केबल लैंडिंग स्टेशन के मालिकों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 17 सबमरीन केबल 14 अलग-अलग केबल लैंडिंग स्टेशनों पर समाप्त होती हैं। केबल लैंडिंग पॉइंट वह स्थान है जहां एक सबमरीन या जल के नीचे की अन्य केबल जमीन पर आती है।
इसके अलावा, रोलआउट के लिए कई नए सबमरीन केबल पाइपलाइन में हैं, जो भारत के विभिन्न तटीय शहरों में पहुंचेंगे।
वर्तमान में, ऐसा कोई भी भारतीय मरीन सर्विस प्रदाता उपलब्ध नहीं है जो भारतीय जल में और उसके आसपास सबमरीन केबल रखरखाव गतिविधियों का समर्थन कर सके।
स्थलीय ऑप्टिकल फाइबर केबल नेटवर्क की तुलना में सबमरीन केबल नेटवर्क की विश्वसनीयता और स्थिरता बहुत अधिक है। ऐसे में भारतीय तट पर टियर- I और टियर- II शहरों के डिजिटल कनेक्टिविटी/इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार के लिए घरेलू सबमरीन केबल की मदद ली जा सकती है।
परामर्श पत्र में स्टब-केबल बिछाने में शामिल लाभों और चुनौतियों का पता लगाने के लिए, समुद्र तट मैनहोल (Beach Manhole: BMH) के माध्यम से केबल लैंडिंग स्टेशन से आगे नए केबलों के लिए प्रादेशिक जल (तट से 12 नॉटिकल मील तक) में पूर्व-निर्धारित ओपन एंडेड “डार्क फाइबर” (Dark fiber) रखने की एक नई अवधारणा पर चर्चा की गई है।
डार्क फाइबर्स (Dark fibers), जिन्हें अनलिमिटेड फाइबर्स के रूप में भी जाना जाता है, ऐसे फाइबर्स केबल हैं जिन्हें पहले से ही बिछाए जाते हैं लेकिन अप्रयुक्त रह जाते हैं।