लेबनान में डेलाइट सेविंग टाइम योजना को लेकर विवाद

अरब देश लेबनान में  26 मार्च को समय को लेकर बड़े पैमाने पर भ्रम की स्थिति पैदा हो गयी थी। दरअसल डेलाइट सेविंग टाइम योजना के तहत लेबनान  अपनी घड़ियों को मार्च के आखिरी रविवार को एक घंटा आगे सेट करता है। लेकिन इस बार कार्यवाहक प्रधानमंत्री नजीब मिकाती ने मार्च महीने के आखिरी रविवार को घड़ी के एक घंटे बढ़ाने के नियम को बदलते हुए इसे 20 अप्रैल से लागू करने की घोषणा की थी।

कुछ संगठनों का आरोप था कि धार्मिक वजहों से ऐसा किया गया है। लंबे विवाद को देखते हुए कार्यवाहक प्रधानमंत्री ने अपने फैसले को उलटते हुए डे-लाइट सेविंग टाइम को  29 मार्च की आधी रात से लागू करने की घोषणा कर दी।

डेलाइट सेविंग टाइम (DST)

डेलाइट सेविंग टाइम (DST: daylight savings time) गर्मी के दौरान घड़ियों को मानक समय से एक घंटे आगे और शरद ऋतु में फिर से वापस सेट करने की वार्षिक प्रणाली है।  

प्राकृतिक दिन के उजाले का बेहतर उपयोग करने के लिए यह प्रणाली अपनाई जाती है।

विश्व के कई देश डे-लाइट सेविंग टाइम प्रणाली अपनाये हुए है लेकिन भारत डेलाइट सेविंग टाइम का पालन नहीं करता है क्योंकि भूमध्य रेखा के पास के देशों में मौसमों के बीच डे आवर्स  में उच्च बदलाव नहीं देखा जाता है।

वैसे आजकल कई लोग तर्क देते हैं कि अधिकांश उपकरण दिन के सभी घंटों में ऊर्जा की खपत करते हैं, ऐसे में  डेलाइट सेविंग टाइम ने प्रासंगिकता खो दी है।

कुछ अध्ययनों से यह भी पता चला है कि डेलाइट सेविंग टाइम के कारण बॉडी क्लॉक में व्यवधान का स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। 

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