कुकी-चिन शरणार्थी मामला
बांग्लादेश के चटगांव पहाड़ी इलाकों में सुरक्षा बलों की हिंसक कार्रवाई से बचकर भागे लगभग 270 से अधिक कुकी-चिन शरणार्थियों (Kuki-Chin refugees) के पहले जत्थे के भारत आने के लगभग दस दिन बाद, सरकारी अधिकारियों का अनुमान है कि 150 और शरणार्थी मिजोरम में शरण ले सकते हैं।
कुकी-चिन शरणार्थी (Kuki-Chin refugees) कौन हैं?
- कुकी-चिन जनजाति बांग्लादेश, मिजोरम और साथ ही म्यांमार में पहाड़ी इलाकों में रहते आये हैं।
- कुकी-चिन लोग मिज़ो लोगों के साथ नृजातीय संबंध साझा करते हैं।
- मिजोरम बांग्लादेश के साथ 318 किलोमीटर की अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है, जिसकी रक्षा भारत की ओर से बीएसएफ जबकि दूसरी ओर बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश और बांग्लादेश सेना द्वारा की जाती है।
कुकी-चिन भारत क्यों आ रहे हैं?
- बांग्लादेश के रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) ने चटगाँव हिल ट्रैक्ट क्षेत्र में रहने वाले कुकी-चिन लोगों के एक सैन्य संगठन कुकी-चिन नेशनल आर्मी (KCNA) के खिलाफ कार्रवाई की है। KCNA कुकी-चिन नेशनल फ्रंट (KCNF) नामक राजनितिक संगठन का सैन्य विंग है।
- बांग्लादेश सरकार का आरोप है कि कुकी-चिन नेशनल फ्रंट (केसीएनएफ) के लड़ाकों को बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठन जमातुल अंसार फिल हिंडाल शरकिया (JAFHS) से वित्तीय सहायता मिल रही है।
- बांग्लादेश सरकार आतंकवाद और कट्टरपंथ के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रखी है और इसलिए कार्रवाई की जा रही है। इसी डर से ये लोग सीमा पारकर भारत में प्रवेश कर रहे हैं।
- बांग्लादेश का मानना है कि कुकी-चिन लड़ाकों ने हथियारों का प्रशिक्षण ले रखा है, लेकिन वित्तीय संसाधनों की कमी है जो उन्हें JAFHS द्वारा प्रदान की जा रही है।
- बांग्लादेश की सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि म्यांमार-बांग्लादेश और भारत के ट्राइजंक्शन में स्थित सामरिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र में एक्टिविटी चलाने की KCNF और FAFHS की साझी महत्वाकांक्षा है जिसे रोकने की जरूरत है।
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भारत की प्रतिक्रिया क्या है?
- नागरिक समाज समूहों और मिजोरम सरकार ने मिजोरम के स्कूलों में कुकी-चिन शरणार्थियों के ठहरने की व्यवस्था की है। ये लोग एथिनिक संबंधों के कारण इनके प्रति सहानुभूति रखते हैं।
- हालांकि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इन्हें उनके देश वापस भेजने (repatriation) के बारे में कोई ठोस निर्णय नहीं लिया है।
- भारत 1951 के संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी कन्वेंशन और इसके 1967 के प्रोटोकॉल का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है।
- भारत शरणार्थियों को मान्यता नहीं देता है,इसलिए फॉरेनर्स एक्ट का उल्लंघन करने के मामले में इन बिन बुलाये प्रवासियों पर मुकदमा चलाया जा सकता है।