Dragon Fruit: बेंगलुरु में कमलम या ड्रैगन फ्रूट के लिए उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना को मिली मंजूरी
कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने मिशन फॉर इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर (MIDH) के अंतर्गत, कमलम या ड्रैगन फ्रूट (Kamalam or Dragon Fruit) के उत्पादन, कटाई के बाद खेती और मूल्यवर्धन पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (IIHR), बेंगलुरु को हिरेहल्ली, बेंगलुरु में उत्कृष्टता केंद्र (Centre of Excellence) स्थापना को स्वीकृति दे दी है।
कमलम या ड्रैगन फ्रूट
कमलम या ड्रैगन फ्रूट जिसे पिताया (Pitaya) भी कहा जाता है, औषधीय गुणों से परिपूर्ण एक बारहमासी कैक्टस है। इस फल के छिलके सहपत्रों या शल्कों से ढके रहते हैं, जिसके कारण यह फल पौराणिक जीव “ड्रैगन” जैसा दिखता है, इसलिए इसका नाम ड्रैगन फ्रूट रखा गया है।
यह दक्षिणी मैक्सिको, मध्य अमेरिका और दक्षिण अमेरिका मूल का है।
व्यापक रूप से दुनिया में दक्षिण-पूर्व एशिया, भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, कैरेबियन द्वीप समूह, ऑस्ट्रेलिया में उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में कमलम या ड्रैगन फ्रूट की खेती की जाती है।
अंग्रेजी में ड्रैगन फ्रूट कहे जाने वाला पिताया अलग-अलग नामों से लोकप्रिय है जैसे मेक्सिको में पिठैया, मध्य और उत्तरी अमेरिका में पिटया रोजा, थाईलैंड में पिथाजाह और भारत में संस्कृत नाम कमल से इस फल को कमलम कहा जाता है। इसे “21वीं सदी का चमत्कारिक फल” भी कहा जाता है।
कमलम (ड्रैगन फ्रूट) ने न केवल अपने लाल बैंगनी रंग और खाद्य उत्पादों के आर्थिक मूल्य के कारण बल्कि अपने जबरदस्त स्वास्थ्य लाभों के कारण हाल ही में दुनिया भर के उत्पादकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है।
वर्तमान में इसकी खेती कम से कम 22 उष्णकटिबंधीय देशों में की जा रही है।
ऐतिहासिक साक्ष्य बताते हैं कि फ्रांसीसियों ने लगभग 100 वर्ष पहले वियतनाम में फसल की शुरुआत की थी और इसे राजा के लिए उगाया गया था।
भारत में कमलम फल की खेती
भारत में कमलम फल की खेती तेजी से बढ़ रही है और कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, मिजोरम और नागालैंड के किसानों ने इसकी खेती करना प्रारंभ कर चुके हैं।
वर्तमान में, भारत में ड्रैगन फ्रूट की खेती का कुल क्षेत्रफल 3,000 हेक्टेयर से अधिक है जो घरेलू मांग को पूरा करने में सक्षम नहीं है, इसलिए भारतीय बाजार में उपलब्ध ड्रैगन फ्रूट का अधिकांश हिस्सा थाईलैंड, मलेशिया, वियतनाम और श्रीलंका से आयात किया जाता है।
भारत में कमलम का आयात 2017 के दौरान 327 टन की मात्रा के साथ शुरू हुआ था, जो 2019 में तेजी से बढ़कर 9,162 टन हो गया और 2020 और 2021 के लिए अनुमानित आयात क्रमशः लगभग 11,916 और 15,491 टन है।
मिशन फॉर इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर (MIDH) के तहत इस प्रयास में कमलम सहित विदेशी और विशिष्ट क्षेत्र के फलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए चिन्हित संभावित क्षेत्र में इस फसल की खेती के लिए एक रोडमैप तैयार किया जा रहा है। कमलम के लिए MIDH के तहत पांच वर्षों में क्षेत्र विस्तार का लक्ष्य 50,000 हेक्टेयर है।