न्याय विभाग ने है कि न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने से नॉन-परफॉर्मर को होगा फायदा

केंद्रीय विधि और न्याय मंत्रालय के न्याय विभाग ने हाल में कार्मिक, कानून और न्याय पर संसदीय पैनल के समक्ष एक प्रस्तुति दी, जिसकी अध्यक्षता भाजपा सांसद और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने की। इसमें न्ययाधीशों की सेवानिवृति पर विभाग ने अपनी राय प्रस्तुत की।

न्याय विभाग ने कहा:

  • सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने से अच्छे प्रदर्शन नहीं करने वाले न्यायाधीशों की सेवा के वर्षों में वृद्धि हो सकती है और सरकारी कर्मचारियों द्वारा समान मांग उठाने पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ सकता है।
  • उच्चतर न्यायपालिका में नियुक्तियों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के उपायों के साथ-साथ न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने पर विचार किया जा सकता है।
  • सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने से कुछ ऐसे न्यायाधीशों को भी सेवा विस्तार का लाभ मिलेगा जो इस योग्य नहीं हैं और नॉन-परफॉर्मिंग और खराब प्रदर्शन करने वाले न्यायाधीशों की सेवाएं जारी रह सकती हैं।
  • लंबित मामलों को कम करने और न्यायपालिका में पारदर्शिता लाने के साथ-साथ न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने पर विचार किया जाना चाहिए।
  • सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने से ट्रिब्यूनल में सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को पीठासीन अधिकारियों या न्यायिक सदस्यों के रूप में नियुक्ति में समस्या आएगी और इसका असर ट्रिब्यूनल के प्रदर्शन पर पड़ेगा। रिटायर्ड जजों को ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष बनाने से ट्रिब्यूनल को उनके अनुभवों का लाभ मिलता है।
  • न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु में वृद्धि का व्यापक प्रभाव होगा क्योंकि केंद्र और राज्य स्तर पर सरकारी कर्मचारी, पीएसयू, आयोग आदि इसी तरह की मांग उठा सकते हैं।

बता दें कि जुलाई 2022 में, केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद को सूचित किया था कि सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है।

न्यायाधीशों के लिए सेवानिवृत्ति की आयु

  • संविधान के अनुच्छेद 124(2) के अनुसार उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष है।
  • संविधान के अनुच्छेद 217(1) के अनुसार, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होते हैं।
  • प्रारंभ में, उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष थी, जिसे बाद में 1963 में 15वें संविधान संशोधन के माध्यम से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दिया गया।
  • हाल ही में, बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) के नेतृत्व में बार निकायों ने सर्वसम्मति से उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाकर क्रमशः 65 और 67 वर्ष करने के लिए संविधान में संशोधन का समर्थन किया था।
  • उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाकर 65 वर्ष करने के लिए 2010 में 114वां संशोधन विधेयक पेश किया गया था। हालाँकि, इसे संसद में विचार के लिए नहीं लिया गया था और 15 वीं लोकसभा के विघटन के साथ ही यह विधेयक समाप्त हो गया था।
error: Content is protected !!