शुक्रयान-1: शुक्र ग्रह के लिए इसरो मिशन में देरी की संभावना
भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (ISRO) का वीनस मिशन, जिसे शुक्रयान-I (Shukrayaan I) कहा गया है, दिसंबर 2024 में लॉन्च होने की उम्मीद थी, हालांकि, इसरो के मुताबिक उसे अभी तक इस मिशन के लिए भारत सरकार से मंजूरी नहीं मिली है और इसके परिणामस्वरूप मिशन को 2031 तक के लिए टाला जा सकता है।
- यह बात भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सतीश धवन प्रोफेसर और इसके अंतरिक्ष विज्ञान कार्यक्रम के सलाहकार पी. श्रीकुमार ने कही।
शुक्रयान-I के बारे में
- पृथ्वी से शुक्र के लिए प्रक्षेपण का उत्कृष्ट अवसर हर 19 महीने में एक बार प्राप्त होती है। इसलिए वर्ष 2024 के प्रक्षेपण अवसर छूट जाने के बाद इसरो के पास ‘बैकअप’ लॉन्च की तारीखें 2026 और 2028 में प्राप्त होगी। लेकिन इससे भी अधिक बेहतर अवसर जो लिफ्टऑफ पर आवश्यक ईंधन की मात्रा को कम करती हैं, हर आठ साल में आती हैं।
- शुक्रयान I एक ऑर्बिटर मिशन होगा।
- इसके वैज्ञानिक पेलोड में वर्तमान में एक हाई-रिज़ॉल्यूशन सिंथेटिक एपर्चर रडार और एक ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार शामिल हैं।
- इस मिशन से शुक्र की भूगर्भीय और ज्वालामुखीय गतिविधि, उसके धरातल पर उत्सर्जन, हवा की गति, बादलों के आवरण और अंडाकार कक्षा से अन्य ग्रहों की विशेषताओं का अध्ययन करने की उम्मीद है।
शुक्र ग्रह (Venus) के बारे में
- शुक्र, सूर्य से दूसरा ग्रह है और पृथ्वी का निकटतम पड़ोसी ग्रह है।
- यह चार आंतरिक, स्थलीय (या चट्टानी) ग्रहों में से एक है, और इसे अक्सर पृथ्वी का जुड़वां कहा जाता है क्योंकि आकार और घनत्व में दोनों ग्रह समान हैं।
- हालाँकि, जुड़वां ग्रह कहे जाने के बावजूद शुक्र और पृथ्वी की दुनियाओं के बीच बुनियादी अंतर हैं।
- शुक्र के पास कार्बन डाइऑक्साइड से भरा एक घना, जहरीला वातावरण है और यह लगातार सल्फ्यूरिक एसिड के घने, पीले बादलों में डूबा रहता है जो गर्मी को फांसता है, जिससे अधिक ग्रीनहाउस प्रभाव पैदा होता है।
- भले ही बुध सूर्य के करीब है, लेकिन शुक्र हमारे सौर मंडल का सबसे गर्म ग्रह है। शुक्र की सतह का तापमान लगभग 900 डिग्री फारेनहाइट (475 डिग्री सेल्सियस) है।
- इसकी सतह जंग लगा लगी हुई रंग में दिखती है।
- वैज्ञानिकों को लगता है कि संभव है कि कुछ ज्वालामुखी वहां अभी भी सक्रिय हों।
- शुक्र की सतह पर हवा का दबाव बहुत अधिक है – पृथ्वी के 90 गुना से अधिक।
- सौरमंडल के अधिकांश अन्य ग्रहों की विपरीत शुक्र अपनी धुरी पर पीछे की ओर घूमता है। इसका मतलब यह है कि, शुक्र पर, सूर्य पश्चिम में उदय होता है और पूर्व में अस्त होता है, यानी हम पृथ्वी पर जो अनुभव करते हैं, उसके विपरीत स्थिति है। वैसे हमारे सौर मंडल इस तरह का घूर्णन यूरेनस का भी है।
शुक्र ग्रह पर विभिन्न मिशन
- शुक्र वह पहला ग्रह था जिसे किसी मानव अंतरिक्ष मिशन ने फ्लाई बाय/Explore किया था। नासा के मेरिनर-2 ने 14 दिसंबर, 1962 को बादलों से ढकी इस दुनिया को स्कैन किया था।
- हाल के वीनस मिशनों में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) की वीनस एक्सप्रेस और जापान की अकात्सुकी वीनस क्लाइमेट ऑर्बिटर शामिल हैं।
- जून 2021 में, शुक्र के लिए तीन नए मिशनों की घोषणा की गई। NASA ने दो नए मिशनों (VERITAS और DAVINCI) की घोषणा की, और ESA ने एक (EnVision) की घोषणा की।