Lab-grown diamonds: IIT मद्रास में स्थापित होगा इंडिया सेंटर फॉर लैब-ग्रोन डायमंड्स (InCent-LGD)

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वाणिज्य मंत्रालय ने IIT मद्रास में अगले पांच वर्षों में 243 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से इंडिया सेंटर फॉर लैब-ग्रोन डायमंड्स (InCent-LGD) की स्थापना को 23 फरवरी को मंजूरी दी।

  • बता दें कि आम बजट 2023-24 में, प्रयोगशाला में बने गए हीरों (lab-grown diamonds: LGD) मशीनरी, सीड्स तथा रेसिपी के स्वदेशी उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IITs) में से एक के लिए पांच वर्ष का शोध अनुदान दिए जाने की घोषणा की गई थी।
  • इस परियोजना का लक्ष्य रसायनिक वाष्प जमाव (Chemical Vapour Deposition: CVD) तथा उच्च दबाव और उच्च तापमान (High Pressure and High Temperature: HPHT), दोनों प्रणालियों के स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए देश में उद्योगों तथा उद्यमियों को मिशन मोड में तकनीकी सहायता प्रदान करना एवं अपस्ट्रीम छोर पर लैब में निर्मित हीरों (LGD) के व्यवसाय को विस्तारित करने के लिए विधि तैयार करना है।
  • आभूषण उद्योग के अतिरिक्त, लैब निर्मित हीरों का उपयोग कंप्यूटर चिप्स, उपग्रहों, 5जी नेटवर्कों में किया जाता है क्योंकि ये सिलिकॉन आधारित चिप्स की तुलना में कम बिजली का उपयोग करते हुए चरम वातावरणों में उच्च गति पर काम करने की क्षमता रखते हैं।
  • LGD का रक्षा, ऑप्ट्क्सि, आभूषण, थर्मल एवं चिकित्सा उद्योग में व्यापक उपयोग है।

प्रयोगशाला निर्मित डायमंड के बारे में

  • लैब-निर्मित हीरे मानव निर्मित हीरे हैं जो प्राकृतिक हीरे बनाने की प्रक्रिया की नक़ल द्वारा बनाये जाते हैं। चूंकि ये वास्तव में कार्बन परमाणु संरचनाओं से बने होते हैं, इसलिए प्रयोगशाला में विकसित हीरे प्रकृति की भूगर्भीय प्रक्रियाओं द्वारा उत्पादित प्राकृतिक हीरा क्रिस्टल के समान रासायनिक और ऑप्टिकल विशेषताओं को प्रदर्शित करते हैं।
  • लैब-निर्मित हीरे उन प्रक्रियाओं की नकल करके बनाए जाते हैं जिनके परिणामस्वरूप प्राकृतिक हीरे का निर्माण होता है।
  • प्राकृतिक हीरे अत्यधिक गर्मी और दबाव में निर्मित होते हैं, जो लाखों वर्षों में कार्बन परमाणुओं को सुंदर और मनोरम रत्नों में बदल देते हैं जिन्हें हम हीरे के रूप में जानते हैं।
  • लैब-निर्मित हीरे उसी तरह विकसित होते हैं, अंतर केवल यह है कि मानव निर्मित प्रक्रिया के माध्यम से लैब में बनाने में इन्हें लाखों वर्ष नहीं वरन कुछ सप्ताह लगते हैं।
  • हीरे का उत्पादन आमतौर पर प्रयोगशालाओं में दो तरह से किया जाता है – रसायनिक वाष्प जमाव (Chemical Vapour Deposition: CVD) तथा उच्च दबाव और उच्च तापमान (High Pressure and High Temperature: HPHT)।
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