FY23 में भारत की विकास दर 6.9% रहेगी: विश्व बैंक
विश्व बैंक ने 10 जनवरी को प्रकाशित एक रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था के 2023-24 (FY24) में 6.6 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि का अनुमान लगाया है, जो 2022-23 (FY23) में 6.9 प्रतिशत के अनुमान से कम है।
प्रमुख तथ्य
- अपनी ‘ग्लोबल इकनोमिक प्रॉस्पेक्ट्स’ (Global Economic Prospects) में विश्व बैंक ने 2023 में वैश्विक अर्थव्यवस्था के 1.7 प्रतिशत की दर से वृद्धि का अनुमान लगाया गया है, जबकि यूरो क्षेत्र और अमेरिका में शून्य प्रतिशत और 0.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज किये जाने का अनुमान है। विश्व बैंक के अनुमान के अनुसार लगभग तीन दशकों में वैश्विक अर्थव्यवस्था में तीसरी सबसे कम विकास दर दर्ज की जाएगी।
- 2023 में चीन की विकास दर 4.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। वहीं 2022 में, चीन की आर्थिक विकास दर 2.7 प्रतिशत होगी जो 1970 के मध्य के बाद से सबसे कम है, यदि 2020 के महामारी वर्ष को छोड़ दें तो।
- विश्व बैंक की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप जैसी विकसित अर्थव्यवस्थाओं में बढ़ती ब्याज दरें गरीब देशों से निवेश पूंजी को आकर्षित करेंगी, जिससे ये देश घरेलू निवेश से वंचित हो जाएंगे।
- रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि उच्च ब्याज दरों से विकसित देशों में भी विकास धीमा हो जाएगा क्योंकि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण ने वैश्विक खाद्य कीमतों को उच्च बनाये रखा है।
- रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि विश्व अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आने के करीब है। उच्च मुद्रास्फीति, वित्तीय तनाव, बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की गहन कमजोरी, या बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव जैसे कारक वैश्विक अर्थव्यवस्था को मंदी की ओर धकेल सकते हैं।
- यह 80 से अधिक वर्षों में पहली बार ऐसा होगा जब एक ही दशक के भीतर दो वैश्विक मंदी (global recessions) आये ।
मंदी (recession) क्या है?
- मंदी आर्थिक गतिविधियों में बड़ी, व्यापक और लंबे समय तक गिरावट है।
- लगातार दो तिमाहियों की नकारात्मक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि को मंदी माना जाता है।