Aditya-L1 mission: जून या जुलाई 2023 में प्रक्षेपण की है योजना

Visible Line Emission Coronograph (VELC) assembled (Credit: IIA/ISRO)

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) जून या जुलाई 2023 तक आदित्य-एल1 (Aditya-L1 mission ) मिशन के लॉन्च की योजना बना रहा है। इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने 26 जनवरी को इस मिशन के विजिबल लाइन एमिशन कोरोनग्राफ (Visible Line Emission Coronagraph: VELC) पेलोड सौंपने के समारोह के दौरान संभावित तिथि की घोषणा की।

आदित्य-L1 के बारे में

  • आदित्य-L1 सूर्य और सौर कोरोना का अध्ययन करने वाला पहला भारतीय अंतरिक्ष मिशन है।
  • आदित्य-L1 मिशन जून या जुलाई तक लॉन्च किया जाएगा क्योंकि मिशन के लिए लॉन्च विंडो अगस्त तक बंद हो जाएगी।
  • आदित्य-L1 मिशन को इसरो द्वारा L1 कक्षा में लॉन्च किया जाएगा (जो सूर्य-पृथ्वी प्रणाली का पहला लैग्रेंजियन बिंदु है)L1 कक्षा आदित्य-L1 को लगातार सूर्य की ओर देखने की अनुमति देती है।
  • आदित्य-L1 में कुल सात पेलोड होंगे, जिनमें से प्राथमिक पेलोड विजिबल एमिशन लाइन कोरोनग्राफ (VELC) है, जिसे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (IIA), बेंगलुरु द्वारा डिजाइन और निर्मित किया गया है।
  • आदित्य-L1 उपग्रह पर VELC मुख्य उपकरण (VELC पेलोड) है।
  • अन्य छह पेलोड इसरो और अन्य वैज्ञानिक संस्थानों द्वारा विकसित किए जा रहे हैं।
  • आदित्य-L1 का उद्देश्य पृथ्वी और उसके आसपास सूर्य के प्रभाव को समझना है।
  • पेलोड लगातार कोरोना का निरीक्षण करने में सक्षम होगा और इसके द्वारा प्रदान किए गए डेटा से सौर खगोल विज्ञान के क्षेत्र में कई अनसुलझे समस्याओं का जवाब मिलने की उम्मीद है।
  • अंतरिक्ष में स्थित किसी भी अन्य सौर कोरोनग्राफ में सौर डिस्क के इतने निकट से सौर कोरोना की तस्वीर लेने की क्षमता नहीं है जितनी VELC कर सकता है। यह सौर त्रिज्या के 1.05 गुना के करीब की छवि बना सकता है। यह एक ही समय में इमेजिंग, स्पेक्ट्रोस्कोपी और पोलरिमेट्री भी कर सकता है, और बहुत उच्च रिज़ॉल्यूशन (विस्तार का स्तर) और कई बार एक सेकंड में कई अवलोकन कर सकता है।

सूर्य के कोरोना (Sun’s Corona) के बारे में

  • कोरोना सूर्य के वायुमंडल की सबसे बाहरी परत है जहां मजबूत चुंबकीय क्षेत्र प्लाज्मा को बांधे रखते हैं और अशांत सौर हवाओं (solar winds) को भागने से रोकते हैं। अल्फवेन बिंदु (Alfven point) तब घटित है जब सौर हवाएं क्रिटिकल गति से अधिक हो जाती हैं तब कोरोना और सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र से मुक्त हो जाती हैं।
  • कोरोना आमतौर पर सूर्य की सतह के तेज प्रकाश से छिपा रहता है। इससे विशेष उपकरणों का उपयोग किए बिना देखना मुश्किल हो जाता है। हालांकि, कोरोना को पूर्ण सौर ग्रहण (solar eclipse) के दौरान देखा जा सकता है।
  • कोरोना सूर्य के वायुमंडल की बाहरी परत में है यानी उसकी सतह से बहुत दूर। फिर भी कोरोना, सूर्य की सतह से सैकड़ों गुना ज्यादा गर्म है।
  • सूर्य की सतह से अधिक गर्म होने की बाद भी यह मद्धिम दिखता है। दरअसल कोरोना सूर्य की सतह से लगभग 1 करोड़ गुना कम घना है। यह कम घनत्व कोरोना को सूर्य की सतह की तुलना में बहुत कम चमकीला बनाता है।
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