Sounding rocket: निजी क्षेत्र का भारत का पहला हाइब्रिड साउंडिंग रॉकेट तमिलनाडु के चेंगलपट्टू से लॉन्च किया गया
निजी क्षेत्र द्वारा भारत का पहला हाइब्रिड साउंडिंग रॉकेट (first hybrid sounding rocket) 19 फरवरी, 2023 को तमिलनाडु के चेंगलपट्टू के पट्टीपुलम गांव से लॉन्च किया गया।
- मार्टिन फाउंडेशन ने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम इंटरनेशनल फाउंडेशन और स्पेस जोन इंडिया के सहयोग से डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मिशन- 2023 लॉन्च किया।
- इस परियोजना में 5,000 छात्र शामिल थे। चयनित छात्रों ने छात्र उपग्रह प्रक्षेपण वाहन (रॉकेट) और 150 PICO उपग्रह अनुसंधान प्रयोग क्यूब्स का डिजाइन और निर्माण किया जिसमें विभिन्न पेलोड शामिल थे।
- PICO सैटेलाइट्स 1 किलो से कम द्रव्यमान वाले उपग्रह हैं, जिन्हें आधुनिक लघुकरण तकनीकों के उपयोग द्वारा कार्यान्वित किया जाता है।
- हाइब्रिड साउंडिंग रॉकेट का उपयोग मौसम, वायुमंडलीय स्थितियों और विकिरणों में अनुसंधान के लिए किया जा सकता है।
साउंडिंग रॉकेट
- साउंडिंग रॉकेट का नाम नॉटिकल शब्द “टू साउंड” से लिया गया है, जिसका अर्थ है माप लेना।
- साउंडिंग रॉकेट एक या दो चरणों वाले ठोस प्रणोदक रॉकेट होते हैं जिनका उपयोग ऊपरी वायुमंडलीय क्षेत्रों की निगरानी और अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए किया जाता है।
- ये लॉन्च यानों और उपग्रहों में उपयोग के लिए नए घटकों या उप-प्रणालियों के प्रोटोटाइप का परीक्षण करने या प्रमाणित करने के लिए आसानी से किफायती प्लेटफॉर्म के रूप में भी काम करते हैं।
- बता दें कि 1963 में थुंबा में थुंबा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन (TERLS) की स्थापना के साथ भारत ने एरोनॉमी और वायुमंडलीय विज्ञान के क्षेत्र में एक बड़ी छलांग लगायी थी। थुंबा चुंबकीय भूमध्य रेखा (magnetic equator) के करीब एक स्थान है।
- 21 नवंबर 1963 को तिरुवनंतपुरम, केरल के पास थुंबा से पहले साउंडिंग रॉकेट के प्रक्षेपण ने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत को चिह्नित किया।
- विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC), तिरुवनंतपुरम वैज्ञानिक अध्ययन के लिए साउंडिंग रॉकेट प्रक्षेपण में अग्रणी रहा है। थुंबा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन से बड़ी संख्या में साउंडिंग रॉकेट विकसित और लॉन्च किए गए हैं।
- इसरो ने रोहिणी श्रृंखला नामक साउंडिंग रॉकेटों की एक सीरीज विकसित की है, जिनमें से महत्वपूर्ण हैं: RH-200, RH-300 और RH-560 हैं। राकेट के नाम में संख्या में रॉकेट के व्यास (mm) को दर्शाती है। अब तक 1545 RH-200 रॉकेट लॉन्च किए जा चुके हैं।