भारत की ऊर्जा मांग 2021-2030 के दौरान विश्व में सबसे अधिक होगी-वर्ल्ड एनर्जी आउटलुक 2022

विश्व ऊर्जा आउटलुक 2022 (World Energy Outlook 2022) रिपोर्ट 27 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) द्वारा प्रकाशित की गई।

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष

तेजी से शहरीकरण और औद्योगीकरण की मदद से चालू दशक के दौरान भारत में ऊर्जा की मांग विश्व स्तर पर सबसे अधिक होने की उम्मीद है, जो वार्षिक आधार पर 3 प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ रही है।

भारत 2025 तक दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जायेगा। इसके साथ शहरीकरण और औद्योगीकरण की जुड़वां ताकतें ऊर्जा की मांग में तेजी से वृद्धि के कारक हैं।

यह वर्ष 2021 से 2030 तक स्टटेड पॉलिसीज सिनेरियो (Stated Policies Scenario: STEPS) में प्रति वर्ष 3 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि करेगी।

भले ही भारत अक्षय ऊर्जा में विकास और दक्षता नीतियों के साथ काफी प्रगति कर रहा है, लेकिन जिस हिसाब से भारत विकास कर रहा है उसको देखते हुए जीवाश्म ईंधन के लिए संयुक्त आयात बिल अगले दो दशकों में STEPS में दोगुना हो जायेगा, जिसमें तेल अब तक का सबसे बड़ा घटक होगा।

कोयला उत्पादन का विस्तार जारी रहने का अनुमान है, लेकिन इस अवधि में बिजली उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी 75% से घटकर 55% होने का अनुमान है।

गति शक्ति और आत्मनिर्भर भारत योजना और मजबूत अर्थव्यवस्था जैसे सरकारी कार्यक्रम अक्षय ऊर्जा और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में मजबूत विकास को रेखांकित करते हैं, विशेष रूप से दो से तीन पहिया वाहनों के लिए।

अक्षय ऊर्जा भारत की बिजली की मांग में 60% से अधिक की वृद्धि को पूरा करेगी। वर्ष 2030 तक विद्युत् मांग में इसकी हिस्सेदारी 35 प्रतिशत होगी। अकेले सोलर पीवी का योगदान 15 प्रतिशत से अधिक होगा।

कोयला अभी भी भारत के लिए वर्ष 2030 तक समग्र ऊर्जा मांग वृद्धि का एक तिहाई पूरा करेगा।

रिपोर्ट के मुताबिक भारत के लिए प्राथमिक चुनौती बढ़ती बिजली की मांग को पूरा करने के अलावा बड़े पैमाने पर नवीकरणीय और परमाणु ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि करना है ताकि कोयले पर निर्भरता को कम किया जा सके जो आज लगभग तीन-चौथाई बिजली आपूर्ति प्रदान करता है।

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