ECONOMIC SURVEY 2022-23: भारत द्वारा जलवायु परिवर्तन शमन उपाय
वित्त मंत्री ने कहा कि भारत का जलवायु दृष्टिकोण विकास के दृष्टिकोण के साथ गंभीरता से जुड़ा हुआ है।
भारत का वर्ष 2010 से 2020 के बीच की अवधि में औसत वार्षिक वन क्षेत्र की बढ़ोतरी के संबंध में वैश्विक रूप से तीसरा स्थान है।
भारतीय राज्यों में अरूणाचल प्रदेश के वनों में सर्वाधिक कार्बन स्टॉक मौजूद हैं, वहीं जम्मू और कश्मीर में अधिकतम प्रति हैक्टेयर कार्बन स्टॉक 173.41 टन उपस्थित है।
भारत ने पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के लिए केन्द्रित प्रयासों के महत्वपूर्ण हिस्सों के रूप में भारत में 75 रामसर स्थल हैं। जो 13.3 लाख हेक्टेयर आर्द्रभूमि (वेटलैंड) को कवर करते हैं।
वर्ष 2014 से 2021 की अवधि के दौरान भारत में नवीकरणीय ऊर्जा के लिए 78.1 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश आया था। आर्थिक समीक्षा के अनुसार वर्ष 2029-30 के अंत तक संभावित स्थापित क्षमता 800 गीगा वाट से अधिक होने की उम्मीद है, जिसमें से 500 गीगा वाट के लिए गैर-जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल होगा।
भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड जारी करने के उद्देश्य से एक सांकेतिक कलेंडर जारी किया है। इन बॉन्ड का कुल मूल्य 16,000 करोड़ रुपये है। सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड जारी करने से सरकार को अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता कम करने में सहायता मिलेगी और इससे सार्वजनिक क्षेत्र की परियोजनाओं में सहयोग करने के लिए संभावित निवेशकों से आवश्यक वित्त पोषण प्राप्त करने में आसानी होगी। इस संबंध में एक फ्रेम वर्क को डिजाइन किया गया है, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय पूंजी बाजार संघ (आईसीएमए) और ग्रीन ब्रॉन्ड प्रिंसिपल्स (2021) का सहयोग शामिल है। ग्रीन फाइनेंस वर्किंग कमेटी का भी गठन किया गया है जो सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड जारी करने के महत्वपूर्ण निर्णयों की देखरेख और सत्यापन करने का कार्य करेगी।
सेबी ने कारोबारी जवाबदेही और निरंतरता रिपोर्ट (Business Responsibility and Sustainability Report: BRSR) के अंतर्गत नई सतत् रिपोर्टिंग की आवश्यकता जताई है, जिनका मुख्य विषय जवाबदेह कारोबारी आचरण पर राष्ट्रीय दिशा-निर्देश में निहित सिद्धांतों के अनुरूप मात्रात्मक मैट्रिक्स के साथ जुड़ा हुआ है।
भारत ने वर्ष 2030 तक अपनी स्थापित विद्युत क्षमता को गैर जीवाश्म ईंधन से 50 प्रतिशत तक करने के लक्ष्य को संशोधित कर राष्ट्रीय सहभागिता को और बेहतर किया गया है। समीक्षा के अनुसार भारत की दीर्घ कालिक न्यूनतम कार्बन विकास रणनीति (LT-LEDS) ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्रोतों का समझदारीपूर्ण दोहन पर केन्द्रित है।
सर्कुलर इकोनोमी को बढ़ावा देने के लिए बैट्री कचरा प्रबंधन नियम 2022, और ई-कचरा (प्रबंधन) नियम 2022 को भी अधिसूचित किया गया है।