भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक और सहयोग व्यापार समझौता (ECTA) लागू हुआ
भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक और सहयोग व्यापार समझौता (India Australia Economic and Cooperation Trade Agreement: Ind-Aus ECTA) 29 दिसंबर, 2022 से प्रभावी हो गया है। ECTA पर 2 अप्रैल, 2022 को हस्ताक्षर किये गए थे और 21 नवंबर, 2022 को इसकी अभिपुष्टि की गई थी।
प्रमुख तथ्य एवं लाभ
- भारत-ऑस्ट्रेलिया ECTA दोनों देशों के बीच व्यापार को प्रोत्साहित करने तथा उसमें सुधार लाने के लिए एक संस्थागत तंत्र उपलब्ध कराता है। यह भारत और ऑस्ट्रेलिया की लगभग सभी टैरिफ लाइनों को कवर करता है।
- भारत को इससे रत्न एवं आभूषण, कपड़ा, चमड़ा, फुटवियर, फर्नीचर, खाद्य एवं कृषि उत्पाद, इंजीनियरिंग वस्तुएं, चिकित्सा उपकरणों, ऑटोमोबाइल जैसे भारत के श्रम आधारित क्षेत्रों सहित इसके 100 प्रतिशत टैरिफ लाइनों पर उपलब्ध कराए गए वरीयतापूर्ण बाजार पहुंच (preferential market access) से लाभ प्राप्त होगा।
- ऑस्ट्रेलिया ने लगभग 135 सर्विस सब-सेक्टर्स में व्यापक प्रतिबद्धताओं तथा भारत की दिलचस्पी वाले मुख्य क्षेत्रों को कवर करते हुए 120 सब-सेक्टर्स में मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा देने की पेशकश की है।
- ऑस्ट्रेलिया को प्रोसेस्ड वस्तुएं निर्यात करने की बहुत सारी संभावनाएं हैं, क्योंकि वे मुश्किल से किसी प्रोसेस्ड वस्तु का विनिर्माण करते हैं, वे मुख्य रूप से कच्चा माल और मध्यवर्ती उत्पादक देश हैं।
- यह समझौता IT सेवाओं पर दोहरा कराधान भी समाप्त कर देगा जो भारत को कम प्रतिस्पर्धी बना रहे थे और IT सेक्टर को कम लाभदायक बना रहे थे। कानून में संशोधन करते हुए 1 अप्रैल 2022 से दोहरे कराधान को हटा दिया गया है, IT सेवाओं पर दोहरा कराधान अब समाप्त हो जाएगा जिससे अभी मिलियन और मिलियन डॉलर की बचत हो सकेगा और कुछ समय के बाद, हो सकता है 5-7 सालों के बाद बिलियन डॉलर की बचत होगी जिससे न केवल प्रतिस्पर्धी लाभ हासिल होगा बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।
- ऐसा अनुमान है कि ECTA के तहत भारत में 10 लाख अतिरिक्त रोजगार के अवसर पैदा होंगे। भारतीय योग गुरुओं और शेफ को वार्षिक वीजा कोटा के साथ लाभ प्राप्त होना तय है।
- एक लाख से अधिक भारतीय छात्रों को ECTA के तहत पढ़ाई के बाद वर्क वीजा (18 महीनों से 4 वर्ष तक) से लाभ प्राप्त होगा।
बता दें कि ऑस्ट्रेलिया भारत का एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझीदार है। वे चार देशों के क्वाड (QUAD), त्रिपक्षीय आपूर्ति श्रृंखला पहल (Trilateral Supply Chain Initiative) और भारत- प्रशांत आर्थिक फोरम (Indo-Pacific Economic Forum: IPEF) का भी हिस्सा हैं।