तमिलनाडु ने लॉन्च की भारत की पहली नीलगिरि तहर परियोजना
तमिलनाडु सरकार ने 25.14 करोड़ रुपये की लागत वाली ‘प्रोजेक्ट नीलगिरि तहर’ (Project Nilgiri Tahr) को मंजूरी देने का आदेश 28 दिसंबर को जारी किया।
प्रमुख तथ्य
यह तमिलनाडु के राजकीय पशु नीलगिरि तहर के संरक्षण के लिए भारत की पहली नीलगिरि तहर परियोजना है।
2022-2023 के तमिलनाडु बजट में, राज्य के वित्त मंत्री ने घोषणा की थी कि “तमिलनाडु के राजकीय पशु के संरक्षण, उसके हैबिटेट के विस्तार और जनता के बीच जागरूकता फैलाने के लिए, 10 करोड़ रुपये के आरंभिक आवंटन से सरकार ‘प्रोजेक्ट नीलगिरि तहर’ को लागू करेगी”।
“प्रोजेक्ट नीलगिरी तहर” का उद्देश्य खंडित हैबिटेट, विशेष रूप से शोला घास के मैदान जो इसके अनुकूल है, को फिर से प्राप्त करना है; तहर आबादी को अपने ऐतिहासिक हैबिटेट में फिर से लाना और यह सुनिश्चित करना कि उचित पुनर्वास सुविधाएं प्रदान की जाएं।
इस परियोजना में नौ घटक होंगे, जिसमें संभाग भर में द्वि-वार्षिक समकालिक सर्वेक्षण, प्रभावित पशुओं के लिए निदान और उपचार, और ऊपरी भवानी में शोला चरागाह बहाली पायलट योजना शामिल हैं।
विश्व वन्य जीव कोष के अनुसार भारत में माउंटेन अंग्युलेट (mountain ungulate) की 12 प्रजातियां प्राप्त होती हैं और नीलगिरी तहर दक्षिणी भारत का एकमात्र माउंटेन अंग्युलेट है।
इसकी आबादी 3,122 आंकी गई है।
यह जानवर पश्चिमी घाट के पूरे इलाके में पाया जाता था, लेकिन लघु खंडों में।
इसकी आबादी का एक बड़ा हिस्सा इसकी ऐतिहासिक रेंज से समाप्त हो गयी है।
पर्यावास के नुकसान और शिकार के कारण मौजूदा आबादी गंभीर संकट में है।
पश्चिमी घाट की यह स्थानिक प्रजाति संकटापन्न प्रजातियों की IUCN लाल सूची में एंडेंजर्ड के रूप में सूचीबद्ध है और भारत के वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची I के तहत संरक्षित है।
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