इम्यून इंप्रिंटिंग: नए के बजाय पुराने संक्रमित स्ट्रेन के प्रति मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली
इम्यून इंप्रिंटिंग (Immune imprinting) किसी व्यक्ति में वायरस के शुरुआती संक्रमण से लड़ने की प्रवृत्ति है, और जब वह दोबारा उसी वायरस से संक्रमित होता है तो उसकी प्रतिरक्षा रिस्पॉन्स पूर्वाग्रह परिणाम देती है। अर्थात उस वायरस के नए स्ट्रेन के संक्रमण के बावजूद इम्यून रिस्पांस पुराने वायरस के लिए हो सकता है इसलिए संक्रमण का खतरा बना रहता है, भले ही गंभीर स्थिति उत्पन्न न हो।
नए अध्ययन
- विभिन्न नए अध्ययनों में यह दिखाया गया है कि SARS-CoV-2 के प्रति लोगों की इम्यून रिस्पांस को इम्प्रिंटिंग कैसे आकार दे रहा है। उदाहरण के लिए, कोविड-19 के शुरुआती स्ट्रेन/प्रकार या बाद के अल्फा या बीटा उपभेदों से संक्रमित लोग बाद के ओमिक्रॉन संक्रमण के लिए अलग-अलग इम्यून रिस्पांस दे रहे हैं, जो उस स्ट्रेन पर निर्भर करता है जिससे वे पहले संक्रमित हुए थे।
- यहां तक कि पुराने स्ट्रेन से संक्रमित होने के बाद भी ओमिक्रॉन से संक्रमित होने के उदाहरण मिलने से स्पष्ट हो जाता है कि इम्प्रिंटेड रिस्पांस को अपडेट करने में मदद नहीं मिली है। इससे स्पष्ट होता है कि वे फिर से संक्रमित हो सकते हैं।
इम्यून इम्प्रिंटिंग के बारे में
- 1947 में जोनास साल्क और थॉमस फ्रांसिस ने इन्फ्लुएंजा संक्रमित लोगों में इम्प्रिंटिंग (Imprinting) पहली बार देखी थी। वे एक अन्य वैज्ञानिक जोसेफ क्विलिगन के साथ मिलकर पहले फ्लू के टीके के विकासकर्ता थे।
- उन्होंने पाया कि जिन लोगों को पहले फ्लू हुआ था, और फिर उन्हें मौजूदा सर्कुलेटिंग स्ट्रेन के खिलाफ टीका लगाया गया, लेकिन उन्होंने पहले स्ट्रेन के खिलाफ एंटीबॉडी का उत्पादन किया।
- शोधकर्ताओं ने इस घटना को ‘ओरिजिनल एंटीजनिक सिन’ (original antigenic sin) नाम दिया, हालांकि आज ज्यादातर शोधकर्ता इसे इंप्रिंटिंग कहना पसंद करते हैं।
- यह परिघटना अतीत से कुछ प्रकोपों की व्याख्या कर सकती है, जैसे कि 1918 के इन्फ्लूएंजा महामारी के दौरान युवा वयस्कों में पुरानी पीढ़ी के सदस्यों की तुलना में आश्चर्यजनक रूप से उच्च मृत्यु दर देखी गयी। ऐसा इसलिए कि पुरानी पीढ़ी अपनी युवावस्था में इस फ्लू के स्ट्रेन से संक्रमित हुए थे, जो कि घातक H1N1 महामारी के स्ट्रेन से निकटता से मेल खाता था। इसकी वजह से युवा वयस्कों की तुलना में पुरानी पीढ़ी में अधिक मजबूत इम्यून रिस्पॉन्स देखी गयी।
- इम्प्रिंटिंग प्रतिरक्षा प्रणाली को वायरस के हमले की स्मृति से लैस करता है जो इसे भविष्य में इसके संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार करने में मदद करता है।
- इसमें प्रमुख भूमिका मेमोरी B कोशिकाओं की हैं, जो शरीर के वायरस के प्रथम एक्सपोजर के दौरान लिम्फ नोड्स में उत्पन्न होती हैं। ये कोशिकाएं तब उसी दुश्मन के संक्रमण पर रक्तप्रवाह में निगरानी रखती हैं, जो प्लाज्मा कोशिकाओं में विकसित होने के लिए तैयार होती हैं और तब एंटीबॉडी टैपर करती हैं।
- हालांकि समस्या तब उत्पन्न होती है जब प्रतिरक्षा प्रणाली समान, लेकिन ठीक वैसा नहीं (similar, but not identical) वायरस के स्ट्रेन का सामना करती है। इस मामले में नए एंटीबॉडी का उत्पादन करने के बजाय B कोशिका पुराने के अनुसार एंटीबॉडी उत्पन्न करता है। ऐसा मेमोरी-B-सेल रिस्पॉन्स के शुरू होने से होता है।
- इसमें अक्सर ऐसे एंटीबॉडी का उत्पादन होता है जो पुराने और नए, दोनों स्ट्रेन में पाए जाने वाले लक्षणों से जुड़ते हैं। इसे क्रॉस-रिएक्टिव एंटीबॉडी के रूप में जाना जाता है। वे कुछ सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं लेकिन इनमें नए स्ट्रेन से लड़ने के लिए संपूर्ण प्रतिरक्षा नहीं होती हैं।
(Source: Nature journal)