IIT मद्रास ने “सिंधुजा-I” नामक ओशन वेव एनर्जी कनवर्टर विकसित किया

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (IIT मद्रास) के शोधकर्ताओं ने सिंधुजा-I नामक “ओशन वेव एनर्जी कनवर्टर” (Sindhuja-I: Ocean wave energy converter) का आविष्कार किया है जो समुद्री लहरों से बिजली उत्पन्न कर सकता है।

सिंधुजा-I: मुख्य विशेषताएं

कनवर्टर पर परीक्षण नवंबर 2022 के दूसरे सप्ताह में पूरा हो गया।

डिवाइस को तमिलनाडु के तूतीकोरिन के तट से लगभग छह किमी दूर 20 मीटर की गहराई वाले स्थान पर तैनात किया गया था।

इस प्रणाली में एक फ्लोटिंग बोई (buoy), एक स्पर और एक इलेक्ट्रिकल मॉड्यूल है। जैसे ही लहर ऊपर और नीचे होती है, buoy ऊपर और नीचे चलती है। परम्परात डिजाइन में, एक गुब्बारे जैसी प्रणाली जिसे ‘buoy’ कहा जाता है, में एक केंद्रीय छिद्र बनाया गया है जो एक स्पार (spar) नामक लंबी छड़ से गुजरने की अनुमति देता है। spar को सीबेड से जोड़ा जा सकता है, और गुजरने वाली लहरें इसे प्रभावित नहीं करेंगी, जबकि buoy ऊपर और नीचे जाएगा और उनके बीच सापेक्ष गति उत्पन्न करेगा। सापेक्ष गति बिजली उत्पन्न करने के लिए विद्युत जनरेटर को घुमाव देती है।

नयी डिज़ाइन में, स्पार तैरता है, और एक मूरिंग चेन सिस्टम को यथावत रखती है।

इस परियोजना को IIT मद्रास के “इनोवेटिव रिसर्च प्रोजेक्ट“, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की निधि प्रयास योजना (Nidhi Prayas Scheme) के तहत TBI-KIET और विभाग के ऑस्ट्रेलियाई पूर्व छात्र अनुदान योजना 2022 के माध्यम से ऑस्ट्रेलियाई सरकार से फण्ड की सहायता प्राप्त हुई।

सिंधुजा-I: लाभ

शोधकर्ताओं को 2024 तक इस इनोवेशन का व्यावसायीकरण करने की उम्मीद है। यह कदम लक्षद्वीप और अंडमान और निकोबार जैसे द्वीपों के लिए पर्याप्त लाभ प्रदान कर सकता है, जो 40-50 Gw तरंग ऊर्जा का उत्पादन कर सकते हैं।

भारत के पास 7,500 किमी लंबी तटरेखा है जो 54 गीगावाट बिजली का उत्पादन करने में सक्षम है, जो देश की ऊर्जा आवश्यकता की पर्याप्त मात्रा को पूरा करती है।

समुद्री जल ज्वारीय, तरंग और समुद्री तापीय ऊर्जा को संग्रहीत करता है, जिससे भारत में 40-Gw तरंग ऊर्जा का दोहन संभव हो पाता है।

IIT मद्रास का लक्ष्य अगले तीन वर्षों में समुद्र की लहरों से 1 मेगावॉट बिजली उत्पन्न करने के लिए कनवर्टर का उपयोग करना है। सफल होने पर, यह परियोजना कई उद्देश्यों को पूरा करने में मदद करेगी-जैसे कि संयुक्त राष्ट्र महासागर दशक और सतत विकास लक्ष्य प्राप्त करने में, और भारत के अपने लक्ष्यों जैसे-डीप ओशन मिशन, स्वच्छ ऊर्जा और ब्लू इकॉनमी ।

अमेरिका, ब्रिटेन और इस्राइल जैसे देश इस तरीके से ऊर्जा पैदा कर रहे हैं। हालाँकि, यह पहली बार है कि तकनीक भारत में उपयोग होने की प्रक्रिया में है।

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