वर्ष 2016-21 में CSR फंड का सबसे ज्यादा हिस्सा शिक्षा क्षेत्र को प्राप्त हुआ

केंद्रीय कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, इंडिया इंक ने वित्त वर्ष 2016-17 और FY 20-21 के बीच शिक्षा क्षेत्र में अपने अनिवार्य कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR: Corporate Social Responsibility) फंड के सर्वाधिक हिस्से का उपयोग किया है। इसके बाद स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास को सर्वाधिक फण्ड प्राप्त हुए।

CSR फण्ड ट्रेंड

उपर्युक्त पांच वित्तीय वर्षों के दौरान, शिक्षा क्षेत्र को CSR फंड में 29,918 करोड़ रुपये मिले।

स्वास्थ्य क्षेत्र को 2,0716 करोड़ रुपये और ग्रामीण विकास और संबंधित योजनाओं को 9,820 करोड़ रुपये मिले।

कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने राज्यसभा को दिए जवाब में कहा, कंपनियों द्वारा कुल CSR का लगभग 33% महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु राज्यों में खर्च किए गए हैं।

इसी तरह, कंपनियों द्वारा कुल CSR का लगभग 60% शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और ग्रामीण विकास से संबंधित गतिविधियों के क्षेत्र में खर्च किए हैं।

अधिकांश कंपनियां अपने CSR फंड को उस राज्य में खर्च करना पसंद करती हैं जहां उनका कॉर्पोरेट हब या कारखाने हैं, हालांकि कॉर्पोरेट कानून कंपनियों को भारत में कहीं भी पैसा खर्च करने की अनुमति देता है।

प्राप्त CSR फंड में राज्य का हिस्सा भी राज्य में औद्योगिक गतिविधियों के स्तर को दर्शाता है।

भारत की GDP में सर्वाधिक योगदान करने वाले महाराष्ट्र को पांच साल की अवधि में CSR में सबसे अधिक राशि (15,000 करोड़ रुपये) मिली। कर्नाटक को 5,922 करोड़ रुपये और गुजरात को 5,294 करोड़ रुपये मिले ।

शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के अलावा, अनाथालयों की स्थापना, स्लम क्षेत्र विकास, सामाजिक-आर्थिक असमानताएं, विशेष शिक्षा, स्वच्छ भारत कोष, प्रौद्योगिकी इनक्यूबेटर और खेल को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण जैसे 29 सेक्टर को फण्ड प्राप्त हुए हैं।

कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) नियम

कंपनी अधिनियम, 2013 और कंपनी (CSR नीति) नियम, 2014 की धारा 135 के तहत सरकार द्वारा प्रदान किए गए व्यापक फ्रेमवर्क के अनुसार कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) के तहत राशि विभिन्न कंपनियों द्वारा आवंटित और उपयोग की जाती है।

अधिनियम के अनुसार निर्धारित शर्तों को पूरा करने वाली कंपनियों को CSR गतिविधियों के लिए पिछले तीन वित्तीय वर्षों के दौरान कंपनी के अपने औसत शुद्ध लाभ का कम से कम 2% आवंटित करना होता है।

उन भारतीय कंपनियों के लिए CSR खर्च अनिवार्य है जिनकी:

(i) 500 करोड़ रुपये या उससे अधिक की नेटवर्थ है; या

(ii) 1000 करोड़ रुपये या उससे अधिक का कारोबार (टर्नओवर) है; या

(iii) 5 करोड़ रुपये या उससे अधिक का शुद्ध लाभ है।

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