Influenza H3N2: भारत में H3N2 इन्फ्लुएंजा से 2 मरीजों की मौत

मौसमी इन्फ्लूएंजा के H3N2 उपप्रकार के संक्रमण के कारण कम से कम दो व्यक्तियों की मृत्यु की पुष्टि की गई है, जिसने दिसंबर 2022 के मध्य से लोगों की बढ़ती संख्या को संक्रमित किया है।

प्रमुख बिंदु

इस साल H3N2 से मृत्यु का पहला मामला कर्नाटक के हासन जिले में दर्ज किया गया जहां 82 वर्षीय एक व्यक्ति की हुई थी। दूसरा मृतक हरियाणा के जींद जिले में 56 वर्षीय फेफड़े के कैंसर का रोगी था, जिसे जनवरी में H3N2 वायरस टेस्ट में पॉजिटिव पाया गया था।

H3N2 से संक्रमित मरीजों में COVID-19 जैसे लक्षण दिखाई देते हैं; जैसे- बुखार, खांसी, सांस फूलना, घरघराहट और निमोनिया।

बता दें कि H3N2 के अलावा, H1N1 वायरस-जिन्हें स्वाइन फ्लू के रूप में जाना जाता है के कुल 955 मामले भी रिपोर्ट किए गए हैं।

H1N1 के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा ओसेल्टामिविर (Oseltamivir) की सिफारिश विश्व स्वास्थ्य संगठन ने H3N2 मामलों के इलाज के लिए भी की है।

सरकार ने इस दवा की व्यापक पहुंच और उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए फरवरी 2017 में दवा और कॉस्मेटिक अधिनियम की अनुसूची H1 के तहत ओसेल्टामिविर की बिक्री की अनुमति दी है।

H3N2 के बारे में

इन्फ्लुएंजा वायरस, जो फ्लू नामक संक्रामक बीमारी का कारण बनता है, चार अलग-अलग प्रकार के होते हैं: A, B, C और D

इन्फ्लुएंजा A को आगे विभिन्न उपप्रकारों में वर्गीकृत किया गया है और उनमें से एक H3N2 है। H3N2 वर्ष1968 की फ्लू महामारी का कारण बना, जिसके कारण दुनिया भर में लगभग दस लाख लोगों और अमेरिका में लगभग 100,000 लोगों की मौत हुई।

इसके लक्षण किसी भी अन्य फ्लू की तरह ही होते हैं। उनमें खांसी, बुखार, शरीर में दर्द और सिरदर्द, गले में खराश, बहती या भरी हुई नाक और अत्यधिक थकान शामिल हैं।

बच्चे के अलावा अस्थमा, मधुमेह, हृदय रोग, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली और न्यूरोलॉजिकल या न्यूरोडेवलपमेंटल जैसे किसी अन्य रोग से ग्रसित लोगों को इससे अधिक खतरा होता है।

तकनीकी रूप से वायरस के संपर्क में आने वाला कोई भी व्यक्ति इस बीमारी की चपेट में आ सकता है। सामान्य प्रतिरक्षा वाले अधिकांश लोगों में ऊपरी श्वसन पथ में संक्रमण के लक्षण दिखाई देते हैं।

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