न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी की अध्यक्षता में भारत के 22वें विधि आयोग का गठन

भारत सरकार ने 7 नवंबर को कर्नाटक उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) ऋतुराज अवस्थी (Rituraj Awasthi) की अध्यक्षता में भारत के विधि आयोग (Law Commission of India) का गठन किया। न्यायमूर्ति अवस्थी की अध्यक्षता वाला आयोग भारत का 22वां विधि आयोग है।

इस आयोग के अन्य पांच सदस्य हैं; केरल उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति के टी शंकरन, एम करुणानिधि, और कानून के प्रोफेसर आनंद पालीवाल, डीपी वर्मा और राका आर्य।

कैबिनेट की मंजूरी के समय एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया था कि आयोग का कार्यकाल आधिकारिक तौर पर तीन साल का होगा।

बता दें क़ी 21वें विधि आयोग का कार्यकाल, जिसके अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी एस चौहान थे, 31 अगस्त 2018 को समाप्त हो गया था।

भारत के विधि आयोग के बारे में

कानून मंत्रालय भारत के विधि आयोग को एक गैर-सांविधिक निकाय (non-statutory body) के रूप में वर्णित करता है जो भारत सरकार की अधिसूचना द्वारा गठित किया जाता है, जिसे कानून के क्षेत्र में अनुसंधान करने के लिए निश्चित रेफेरेंस दिए जाते हैं।

आयोग अपने रेफेरेंस की शर्तों के अनुसार सरकार को (रिपोर्ट के रूप में) सिफारिशें करता है।

विधि आयोग का गठन पहली बार 1955 में भारत के तत्कालीन अटॉर्नी-जनरल श्री एम.सी. सीतलवाड़ की अध्यक्षता में गठित किया गया था।

आयोग अब तक 277 रिपोर्ट प्रस्तुत कर चुका है। इसकी सिफारिशें सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं हैं। हालांकि, यह अनुमान लगाया गया है कि इसकी लगभग 45 प्रतिशत सिफारिशों पर कार्रवाई की गई है या कानून बनाए गए हैं

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