स्पॉट बेलीड ईगल आउल-घोस्ट ऑफ फॉरेस्ट

Representative image: Spot Bellied Eagle Owl

दक्षिण भारत में शेषाचलम वन या मुदुमलाई या नागार्जुनसागर श्रीशैलम या टाइगर रिजर्व (NSTR) में रहने वाले वनवासी कभी-कभी मानव चीख जैसी आवाजें सुनते हैं। यह भूतिया हरकत नहीं है।

वास्तव में यह, यह एंडेंजर्ड पक्षी ‘स्पॉट बेलीड ईगल आउल’/Spot Bellied Eagle Owl (बुबो निपलेंसिस/Bubo Nipalensis) की आवाज है।

एक शोध टीम ने हाल ही में शेषाचलम जंगल में पहली बार और आंध्र प्रदेश में तीसरी बार ‘स्पॉट बेलीड ईगल उल्लू’ (बुबो निपलेंसिस) को रिकॉर्ड किया।

घने जंगलों में बड़े पेड़ों पर पाए जाने वाले इस पक्षी का पर्यावास पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैला हुआ है। लेकिन पहले इसे आंध्र प्रदेश में केवल दो बार देखा गया था, और दोनों बार यह नागार्जुनसागर श्रीशैलम टाइगर रिजर्व (NSTR) में देखा गया था।

बोल्ड शिकारी पक्षी, जिसकी लंबाई 20-25 इंच होती है और इसका वजन 1.5 किलोग्राम और 2 किलोग्राम के बीच होता है, छोटे कृन्तकों और छिपकलियों का आहार करता है।

यह पक्षी इंसानों की तरह अजीब सी चीख निकलता है और इसलिए इसे भारत में ‘घोस्ट ऑफ फॉरेस्ट’ और श्रीलंका में ‘डेविल बर्ड’ भी कहा जाता है।

नागार्जुनसागर-श्रीशैलम टाइगर रिजर्व

नागार्जुनसागर-श्रीशैलम टाइगर रिजर्व (Nagarjunsagar-Srisailam Tiger Reserve), जो नलगोंडा और महबूबनगर में फैला हुआ है, देश का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व है। यह टाइगर रिजर्व लगभग 3,568 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।

श्रीशैलम के मंदिर और जलाशय इस पवित्र शहर में आने वाले हजारों पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के लिए प्रमुख आकर्षण के केंद्र हैं।

नागार्जुनसागर-श्रीशैलम टाइगर रिजर्व को आधिकारिक तौर पर वर्ष 1978 में घोषित किया गया था और वर्ष 1983 में प्रोजेक्ट टाइगर द्वारा मान्यता दी गई थी। इस रिजर्व का नाम बदलकर वर्ष 1992 में राजीव गांधी वन्यजीव अभयारण्य कर दिया गया।

यह रिजर्व नल्लमला पहाड़ियों में स्थित है। कृष्णा नदी, जो सह्याद्री पहाड़ियों से निकलती है और महाराष्ट्र और कर्नाटक से गुजरती है, नल्लमाला टाइगर रिजर्व में भी प्रवाहित होती है।

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