प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की समाप्ति और मुफ्त राशन वितरण: केंद्र सरकार का स्मार्ट कदम
केंद्र सरकार ने सार्वजानिक वितरण प्रणाली के उचित मूल्य की दुकानों से निशुल्क अनाज वितरण का निर्णय लिया है, लेकिन वर्ष 2020 से PMGKA के तहत 5 किलोग्राम अतिरिक्त अनाज आवंटन समाप्त कर दिया गया है।
आर्थिक विश्लेषकों के मुताबिक प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) को समाप्त कर और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSA) के तहत राशन मुफ्त देकर केंद्र सरकार ने अच्छी और स्मार्ट नीति का संकेत दिया है।
- इन निर्णयों से केंद्र सरकार ने न केवल अपने खाद्य सब्सिडी व्यय को सीमित करने के लिए स्मार्ट कदम उठाया है, जो कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के लगातार विस्तार की वजह से हाथ से निकल रहा था बल्कि इस कार्यक्रम को बंद करने से सरकार खुले बाजार में प्रभावी हस्तक्षेप के लिए गेहूं की अधिक मात्रा अपने पास बचाकर रख पायेगी।
- इसका एक बड़ा राजनीतिक महत्व भी है क्योंकि भारत में राशन को शायद ही कभी राष्ट्रीय स्तर पर मुफ्त दिया गया हो, सिवाय कोविड महामारी जैसी आपात स्थिति को छोड़कर।
- यही नहीं, इस कदम से राज्यों की तुलना में केंद्र को अधिक राजनीतिक लाभ मिल सकता है। अब तक केंद्र सरकार PDS के तहत मामूली राशि के बदले 5 किलोग्राम अनाज आपूर्ति कर रही थी, वहीं कई राज्य सरकार कुछ सब्सिडी मिलाकर इस अनाज को फ्री बांटकर राजनीतिक श्रेय ले रही थी। अब केंद्र सरकार ने अपने स्तर पर अनाज निःशुल्क देकर इसका श्रेय खुद लेगी। हालांकि, इस निर्णय से राज्यों का बोझ भी कम होगा।
- इससे वन नेशन वन राशन कार्ड (ONORC) योजना के तहत अनाज उठान में भी सुधार होगा।
- रिपोर्टों के अनुसार, एक सामान्य वर्ष में, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के लिए वास्तविक सब्सिडी आवंटन लगभग 1.8 ट्रिलियन रुपये है। कोविड की पहली लहर के बाद से प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के तहत वितरित अतिरिक्त अनाज के कारण केंद्र लगभग इतनी ही और राशि की सब्सिडी वहन कर रही थी। अब इस अतिरिक्त राशि को PMGKAY योजना के रूप में वहन नहीं करना होगा क्योंकि इसे बंद कर दिया गया है।
- हालांकि NFSA को मुक्त करने से प्रति वर्ष लगभग 10,000-15,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है क्योंकि केंद्रीय निर्गम मूल्य (central issue price: CIP) 2013 से संशोधित नहीं किया गया है। केंद्रीय निर्गम मूल्य वह दर है जिस पर 810 मिलियन लाभार्थियों को अनाज बेचा जाता है।
- PMGKAY का कई बार विस्तार करने के बाद, वर्ष के लिए खाद्य सब्सिडी बिल 2.07 ट्रिलियन रुपये के बजट लक्ष्य की तुलना में 3.3 ट्रिलियन रुपये है। इसका मतलब है कि वित्त वर्ष 23 में PMGKAY और NFSA पर दिसंबर 2022 तक अतिरिक्त 1.23 ट्रिलियन रुपये पहले ही खर्च किए जा चुके हैं। यदि PMGKAY योजना को दिसंबर 2022 के बाद भी जारी रखा जाता, तो तीन महीने (जनवरी से मार्च) के लिए कम से कम 40,000 करोड़ रुपये और खर्च होते। NFSA मुक्त होने से अतिरिक्त व्यय लगभग 3,750 करोड़ रुपये ही होगा। यह स्पष्ट रूप से सरकार के लिए एक बड़ी जीत है।
- सरकार ने अगले 12 महीनों के लिए यह घोषणा कर अगले साल के बजट को लेकर काफी अनिश्चितता दूर कर दी है। आगामी बजट में जो भी व्यय और राजकोषीय घाटे के आंकड़े सामने आते हैं, खाद्य सब्सिडी के बारे में अनिश्चितता दूर हो गयी है।
- PMGKAY के तहत अतिरिक्त आवंटन को समाप्त करने से यह सुनिश्चित होगा कि जनवरी से खुले बाजार में प्रभावी हस्तक्षेप करने के लिए केंद्र के पास अच्छी मात्रा में गेहूं बची होगी। यह तब है जब उम्मीद की जा रही है कि दिल्ली के बाजारों में कीमतें 3,000 रुपये प्रति क्विंटल को पार कर जाएंगी।
- अगर PMGKAY अगले तीन महीने तक जारी रहती, तो सरकार के लिए गेहूं के स्टॉक का प्रबंधन करना मुश्किल हो जाता। सरकार और आधिकारिक अनुमानों के अनुसार, यदि PMGKAY चालू रूप में मार्च 2023 तक जारी रहती, तो मार्च 2023 तक भारत के केंद्रीय पूल में लगभग 11.4 मिलियन टन गेहूं होता। यह 7.5 मिलियन टन की बफर आवश्यकता से काफी अधिक है। इसका मतलब लगभग 3.9 मिलियन टन का की अतिरिक्त उपलब्धता। हालाँकि, PMGKAY की समाप्ति के साथ, 2-3 मिलियन टन और अनाज उपलब्ध होगा। कुल मिलाकर भारत के पास करीब 60 लाख टन ज्यादा स्टॉक होना चाहिए जो बफर नॉर्म्स से अधिक है। इसका मतलब है कि जनवरी 2023 से खुले बाजार में कम से कम 2-3 मिलियन टन गेहूं आपूर्ति की गुंजाईश हमेशा रहेगी जिससे कीमतों में तुरंत कमी आएगी।
(The above analysis is based on an article published in Business Standard)