हरितल्यांगर में छिपकली एवं सांप के प्राप्त जीवाश्म मियोसीन होमिनिड इलाके की जलवायु का संकेत देते हैं
हाल ही में भारत के हिमाचल प्रदेश के हरितल्यांगर (Haritalyangar) में उत्तर-मियोसीन होमिनिड (late Miocene hominid) इलाके में 91 लाख वर्ष पुराने छिपकलियों और सांपों के जीवाश्म अवशेषों को खोजा गया है।
मुख्य तथ्य
यह खोज इस क्षेत्र में लगभग 15-18.6 डिग्री सेल्सियस के औसत वार्षिक तापमान के साथ क्षेत्र में एक मौसमी आर्द्र उप-शुष्क जलवायु का संकेत देते हैं। अब भी इस इलाके में तापमान का कुछ ऐसा ही हाल है।
बता दें कि छिपकली और सांप ठंडे रक्त के शल्क-वाले सरीसृप (रेप्टाइल्स) अर्थात स्क्वामेट (cold-blooded squamates) हैं जिनका क्षेत्र में वितरण, प्रचुरता और विविधता, तापमान एवं जलवायु जन्य परिस्थितियों पर अत्यधिक निर्भर है। इस कारण से, शल्क-वाले सरीसृप (रेप्टाइल्स) अर्थात स्क्वामेट को व्यापक रूप से पिछली जलवायु , विशेष रूप से परिवेश के तापमान के उत्कृष्ट संकेतक (excellent indicators of past climates) के रूप में चिन्हित किया जाता है।
शोधकर्ताओं ने पहली बार इस क्षेत्र से टैक्सा– वरानस/Varanus (छिपकली), पायथन जो क्रमशः एक अहानिकर (कोलब्रिड) और एक नैट्रिकिड सर्प का दस्तावेजीकरण किया गया है।
हरितल्यांगर में टैक्सा वरानुस की उपस्थिति इसके पिछले जैव विविधता के संबंध में महत्वपूर्ण है क्योंकि एशिया में वैरनाइड्स का एक सीमित जीवाश्म रिकॉर्ड है।
समग्र हरितल्यांगर में व्याप्त शल्क-वाले सरीसृप (रेप्टाइल्स) अर्थात स्क्वामेट जीव, जिसमें बड़े और छोटे अर्ध-जलीय और स्थलीय टैक्सा दोनों का वर्चस्व है, मियोसीन उत्तरार्ध, 9.1 ma के दौरान क्षेत्र में मौसमी रूप से आर्द्र उप-आर्द्र जलवायु का संकेत मिलता है। इसके अलावा, औसत वार्षिक तापमान भी उस समय इस क्षेत्र में उच्च रहा होगा (15-18.6 डिग्री सेल्सियस से कम नहीं था।
आज भी इस क्षेत्र में औसत वार्षिक तापमान के समान), वरानस और अजगर जैसे महत्वपूर्ण थर्मोफिलिक तत्वों की बहुलता से यही संकेत मिलता है।