Great Nicobar-Galathea Bay: इंटरनेशनल कंटेनर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट का महत्व एवं चिंताएं

पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने ग्रेट निकोबार द्वीप की गलाथिया खाड़ी (Galathea Bay) में मेगा इंटरनेशनल कंटेनर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट (International Container Transhipment Port: ICTP) के विकास के लिए सभी इच्छुक कंपनियों से एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EOI) आमंत्रित किया है।

  • ग्रेट निकोबार द्वीप के समग्र विकास के हिस्से के रूप में सरकार द्वारा घोषित द्वीप विकास कार्यक्रम के तहत पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय, बंगाल की खाड़ी में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के ग्रेट निकोबार द्वीप की गलाथिया खाड़ी (Galathea Bay) में मेगा इंटरनेशनल कंटेनर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट (International Container Transhipment Port: ICTP) के विकास की दिशा में काम कर रहा है।
  • श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट, कोलकाता (SMPK), इस परियोजना के कार्यान्वयन के लिए नोडल एजेंसी है।

ट्रांसशिपमेंट हब

  • एक ट्रांसशिपमेंट हब वह जगह है जहां कार्गो या कंटेनर को एक जहाज से दूसरे जहाज में लादा जाता है ताकि वह अपने अंतिम गंतव्य तक जा सके। यह बंदरगाह से अलग चीत है क्योंकि बंदरगाह पर जहाज से सामान को उतारकर देश के भीतरी भागों में रेलवे, सड़क, हवाई जहाज से लाया जाता है, वहीं ट्रांसशिपमेंट हब पर कार्गो को एक जहाज से दूसरे जहाज में लादा जाता है।

गलाथिया खाड़ी: सामरिक महत्व

  • गलाथिया खाड़ी में तीन वजहों से यह परियोजना विकसित की जा रही है: अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग व्यापार मार्ग से निकटता के मामले में यह सामरिक जगह पर स्थित है (मलक्का जल संधि से महज 40 समुद्री मील दूर), भारतीय बंदरगाहों सहित आसपास के सभी बंदरगाहों से ट्रांसशिपमेंट कार्गो की क्षमता को वहन कर सकता है, यहां 20 मीटर से अधिक की प्राकृतिक जल गहराई की उपलब्धता बनी रहती है।

भारत में ट्रांसशिपमेंट हब के लाभ

  • भारत में ट्रांसशिपमेंट हब को सक्षम करने के लिए एक मजबूत आर्थिक पक्ष मौजूद है, जो मौजूदा हब से भारतीय और क्षेत्रीय ट्रांसशिपमेंट ट्रैफिक को आकर्षित कर सकता है, राजस्व के अत्यधिक नुकसान को बचा सकता है, भारतीय व्यापार के लिए लॉजिस्टिक्स संबंधी कमियों को दूर कर सकता है, देश की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता के जोखिम को कम कर सकता है और भारत के लिए एशिया-अफ्रीका, एशिया-अमरीका/ यूरोप कंटेनर ट्रैफिक व्यापार का एक बड़ा हब बनने का अवसर तैयार कर सकता है।
  • वर्तमान में, भारत का लगभग 75 प्रतिशत ट्रांसशिप किया गया कार्गो भारत के बाहर बंदरगाहों पर संभाला जाता है। कोलंबो, सिंगापुर और क्लैंग इस कार्गो का 85 प्रतिशत से अधिक संभालते हैं, इस कार्गो का 45 प्रतिशत कोलंबो बंदरगाह पर संभाला जाता है।
  • भारतीय बंदरगाह प्रति वर्ष कार्गो पर 200-220 मिलियन डॉलर की बचत कर सकते हैं।
  • इसके अलावा, गलाथिया बे ट्रांसशिपमेंट पोर्ट के विकास से विदेशी मुद्रा की बचत, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश, अन्य भारतीय बंदरगाहों पर आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि, लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर में वृद्धि होने और इस प्रकार, दक्षता, रोजगार सृजन तथा राजस्व की हिस्सेदारी में वृद्धि जैसे महत्वपूर्ण लाभ अर्जित होंगे।

ग्रेट निकोबार: महत्व एवं चिंताएं

  • ग्रेट निकोबार (Great Nicobar), निकोबार द्वीपसमूह (Nicobar Islands Archipelago) का सबसे दक्षिणी द्वीप है।
  • अंडमान और निकोबार द्वीप समूह बंगाल की पूर्वी खाड़ी में लगभग 836 द्वीपों का एक समूह है, जिसके दो समूह 150 किलोमीटर चौड़े दस डिग्री चैनल (Ten Degree Channel) द्वारा अलग किए गए हैं। चैनल के उत्तर में अंडमान द्वीप और दक्षिण में निकोबार द्वीप समूह स्थित हैं।
  • ग्रेट निकोबार द्वीप के दक्षिणी सिरे पर स्थित इंदिरा पॉइंट (Indira Point ) भारत का सबसे दक्षिणी बिंदु है, जो इंडोनेशियाई द्वीपसमूह के सबसे उत्तरी द्वीप से 150 किमी से भी कम दूरी पर है।
  • ग्रेट निकोबार दो राष्ट्रीय उद्यानों (गैलाथिया बे नेशनल पार्क और कैंपबेल बे नेशनल पार्क), एक बायोस्फीयर रिजर्व (ग्रेट निकोबार बायोस्फीयर रिजर्व), और शोम्पेन और निकोबारी आदिवासी लोगों का घर है।
  • केकड़ा खाने वाले मकाक, निकोबार ट्री श्रू, डुगोंग, निकोबार मेगापोड, सर्पेंट ईगल, खारे पानी के मगरमच्छ, समुद्री कछुए और जालीदार अजगर इस द्वीप के लिए एंडेमिकऔर / या लुप्तप्राय प्रजातियां हैं।
  • लगभग 200 की संख्या में मंगोलॉयड शोम्पेन जनजाति, विशेष रूप से नदियों और चैनल के किनारे बायोस्फीयर रिजर्व के जंगलों में रहते हैं।
  • जनवरी 2021 में, नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्डलाइफ (NBWL) की स्थायी समिति ने गैलाथिया बे वन्यजीव अभयारण्य को एक बंदरगाह के लिए साइट गैर-अधिसूचित कर दिया।
  • गैलाथिया नदी के दोनों ओर के समुद्र तट विशाल लेदरबैक कछुए (giant leatherback turtle), जो दुनिया के सबसे बड़े समुद्री कछुए हैं, के लिए उत्तरी हिंद महासागर में सबसे महत्वपूर्ण नेस्टिंग स्थलों में से एक है।

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