वर्ष 2025 तक पूरे देश को डॉपलर वेदर रडार नेटवर्क से कवर किया जाएगा

केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि अत्यधिक प्रतिकूल मौसम की परिस्थितियों की अधिक सटीक भविष्यवाणी करने के लिए 2025 तक पूरे देश को डॉपलर मौसम रडार नेटवर्क (Doppler Weather Radar Network) के अंतर्गत ले आया जाएगा।

  • भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में डॉपलर वेदर रडार नेटवर्क को बढ़ाया है, जो प्रतिकूल मौसम की परिस्थितियों और घटनाओं की अधिक सटीक भविष्यवाणी करने में मदद करेगा।
  • डॉ जितेंद्र सिंह ने जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के पश्चिमी हिमालयी राज्यों को 4 डॉप्लर मौसम रडार प्रणालियां (DWR) समर्पित की। उन्होंने 200 कृषि स्वचलित मौसम केंद्र (एग्रो ऑटोमेटेड वेदर स्टेशन) भी राष्ट्र को समर्पित किए।

डॉपलर रडार

  • रडार की मूल बातें यह है कि एंटीना से ऊर्जा की एक किरण, जिसे रेडियो तरंगें कहा जाता है, उत्सर्जित होती है। जैसे ही वे वायुमंडल में वस्तुओं पर प्रहार करते हैं, ऊर्जा सभी दिशाओं में बिखर जाती है, जिसमें से कुछ ऊर्जा सीधे रडार पर वापस परावर्तित होती है।
  • वस्तु जितनी बड़ी होती है, उतनी ही अधिक मात्रा में ऊर्जा रडार को लौटा दी जाती है
  • यह हमें वायुमंडल में बारिश की बूंदों को “देखने” की क्षमता प्रदान करता है।
  • इसके अलावा, ऊर्जा की किरण को प्रेषित होने और रडार पर लौटने में लगने वाला समय भी उस वस्तु की दूरी प्रदान करता है।
  • डॉपलर मौसम रडार डॉपलर इफेक्ट के सिद्धांत पर काम करता है। यह रडार 400 किमी तक के क्षेत्र में होने वाले मौसमी बदलाव के बारे में जानकारी देता है।
  • अपने डिजाइन के तहत, डॉप्लर रडार सिस्टम लक्ष्यों की गति के साथ-साथ उनकी स्थिति के बारे में जानकारी प्रदान कर सकते हैं।
  • यह रडार अति सूक्ष्म तरंगों को कैच कर लेता है और हवा में तैर रहे अतिसूक्ष्म जल बूंदों को पहचानने के साथ ही उनकी दिशा का भी पता लगाने में सक्षम है।
  • यह बूंदों के आकार, उनकी रडार दूरी सहित उनके रफ्तार से सम्बन्धित जानकारी को हर मिनट अपडेट करता है। इसी डाटा के आधार पर यह रडार मौसम का सटीक पूर्वानुमान लगाता है। भारत में पहला डॉपलर मौसम रडार चेन्नई में 2005 में लगाया गया था।
  • इस रडार से बादलों के घनत्व, हवा की रफ्तार, नमी की मात्रा की सटीक जानकारी के साथ-साथ ही संभावित चक्रवात, कम या ज्यादा बारिश की चेतावनी, ओलावृष्टि और तूफान आदि का सही-सही व त्वरित पूर्वानुमान मिलता है।
  • डॉप्लर वेदर रडार की सहायता से इस तरह की घटनाओं के बारे में पहले से ही जानकारी मिल जाती है, जिससे समय रहते लोगों को सूचना देकर इनका प्रभाव कम किया जा सकता है।
  • जुलाई 2020 में मुंबई के लिए शुरू की गई शहरी बाढ़ चेतावनी प्रणाली ने मुंबई में भारी वर्षा की घटनाओं और बाढ़ के बेहतर प्रबंधन में मदद की है।
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