एमिशन गैप रिपोर्ट 2022: भारत का प्रति व्यक्ति ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन विश्व औसत से काफी नीचे
उत्सर्जन अंतराल रिपोर्ट 2022: द क्लोजिंग विंडो (Emissions Gap Report 2022) को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा 27 अक्टूबर को जारी किया गया।
- यह रिपोर्ट वार्षिक श्रृंखला का 13वां संस्करण है जिसमें 2030 में ग्रीनहाउस उत्सर्जन की भविष्यवाणी की गई है और जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों को रोकने के लिए उन्हें कहां होना चाहिए, के बीच अंतर का अवलोकन प्रदान करता है।
- रिपोर्ट से पता चलता है कि यूनाइटेड किंगडम के ग्लासगो में आयोजित COP26 के बाद से अपडेटेड नेशनल प्लेज – 2021 अनुमानित 2030 उत्सर्जन में कोई खास बदलाव नहीं लाता। इस वजह से ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने और 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए प्रयास संबंधी पेरिस समझौते के लक्ष्य बहुत दूर दिखाई देते हैं।
- वर्तमान में अपनायी जा रही नीतियां सदी के अंत तक 2.8 डिग्री सेल्सियस तापमान वृद्धि की ओर इशारा करती हैं। वहीं मौजूदा संकल्प के कार्यान्वयन से सदी के अंत तक तापमान में 2.4-2.6 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होगी।
- एमिशन गैप रिपोर्ट 2022 में पाया गया है कि वैश्विक तबाही से बचने के लिए दुनिया को उत्सर्जन में 45 प्रतिशत की कटौती करनी चाहिए।
प्रति व्यक्ति ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन
- रिपोर्ट के अनुसार, 2.4 tCO2e (टन कार्बन डाइऑक्साइड समतुल्य) पर, भारत का प्रति व्यक्ति ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन 2020 में विश्व औसत 6.3 tCO2e से काफी नीचे था (See figure)।
- विश्व औसत प्रति व्यक्ति GHG उत्सर्जन (भूमि उपयोग, भूमि-उपयोग परिवर्तन, और वानिकी-LULUCF सहित) 2020 में 6.3 tCO2e था।
- 14 tCO2e के साथ अमेरिका का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन काफी अधिक है। इसके बाद प्रति व्यक्ति उत्सर्जन रूसी संघ में 13 tCO2e, चीन में 9.7 tCO2e , ब्राजील और इंडोनेशिया में लगभग 7.5 tCO2e र यूरोपीय संघ में 7.2 tCO2eहै ।