एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) जनसंख्या मानदंड
केंद्र सरकार आदिवासी छात्रों के लिए 740 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) स्थापित करने पर जोर दे रहा है। उस प्रत्येक उप-जिले (ब्लॉक) में एक एकलव्य मॉडल स्कूल स्थापित करने का निर्देश है जिसमें कम से कम 20,000 आबादी अनुसूचित जनजाति की है, और वह उस क्षेत्र की कुल आबादी का 50% हो।
वैसे, सामाजिक न्याय और मंत्रालय पर संसदीय स्थायी समिति ने EMRS की स्थापना में जनसंख्या मानदंड अपनाने को “अव्यावहारिक” कहा था और इसकी “तत्काल समीक्षा” की आवश्यकता जताई थी।
एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS)
EMRS मॉडल को पहली बार 1997-98 में आदिवासी छात्रों को दूरस्थ इलाकों में आवासीय सुविधाओं के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए शुरू किया गया था।
इसका उद्देश्य जवाहर नवोदय विद्यालयों और केन्द्रीय विद्यालयों के सामान EMRS स्कूलों का निर्माण करना था।
वर्ष 2018-19 तक, इस योजना की निगरानी जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा की जाती थी, जिसमें राज्य सरकारों के पास नए स्कूलों की पहचान, भर्ती, प्रबंधन और प्रवेश का अधिकतम नियंत्रण था।
हालांकि केंद्र सरकार ने एक निश्चित संख्या में प्रारंभिक EMRS को मंजूरी दी थी, लेकिन योजना के दिशानिर्देश में कहा गया था कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश नए स्कूलों की मंजूरी लेने के लिए जिम्मेदार होंगे, जब उन्हें इसकी आवश्यकता होगी।
इन स्कूलों के लिए धन अनुच्छेद 275 (1) के तहत अनुदान से आना था और दिशानिर्देशों में यह अनिवार्य था कि जब तक राज्य केंद्र द्वारा स्वीकृत स्कूलों का निर्माण पूरा नहीं कर लेते, वे नए स्कूलों के लिए धन के हकदार नहीं होंगे।
प्रत्येक EMRS के लिए 20-एकड़ भूखंडों की बुनियादी आवश्यकताओं के अलावा, दिशानिर्देशों में कोई मानदंड नहीं था कि EMRS कहाँ स्थापित किया जा सकता है, इसे राज्य सरकारों के विवेक पर छोड़ दिया गया।
वर्ष 2018-19 में कैबिनेट ने EMRS योजना में बदलाव को मंजूरी दी थी। नए दिशानिर्देशों ने केंद्र सरकार को स्कूलों को मंजूरी देने और उनका प्रबंधन करने की अधिक शक्ति दी।
जनजातीय मामलों के मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय जनजातीय छात्र शिक्षा सोसाइटी (National Education Society for Tribal Students: NESTS) की स्थापना की गई और उसे स्टेट एजुकेशन सोसाइटी फॉर ट्राइबल स्टूडेंट्स (SESTS) का प्रबंधन सौंपा गया, जो इलाकों में EMRS संचालित करेगा।
नए दिशानिर्देशों ने प्रत्येक आदिवासी उप-जिले में एक EMRS स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है और उन्हें स्थापित करने के लिए “जनसंख्या मानदंड” पेश किया। नए दिशानिर्देशों ने न्यूनतम भूमि की आवश्यकता को भी 20 एकड़ से घटाकर 15 एकड़ कर दिया।