ECI ने कहा है कि जाति-आधारित रैलियों पर प्रतिबंध लगाने की शक्ति उसके पास नहीं है

भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ के समक्ष दायर हलफनामा में कहा है कि जब चुनाव नहीं हो रहे हों तब   राजनीतिक दलों की जाति-आधारित आयोजित रैलियों पर प्रतिबंध लगाने का कोई अधिकार नहीं है और न ही उसके पास ऐसी पार्टियों को आगामी चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित करने की शक्ति है।

अधिवक्ता मोती लाल यादव द्वारा दायर याचिका के जवाब में ECI ने 16 फरवरी को उच्च न्यायालय के समक्ष अपना जवाब दाखिल किया।

ECI ने अदालत के समक्ष यह भी कहा  कि हालांकि उसके आदर्श आचार संहिता में जाति, पंथ या धर्म के आधार पर प्रचार करने या वोट मांगने पर रोक लगाने के लिए नियम निर्धारित किये गए हैं लेकिन इन नियमों को केवल चुनाव के समय ही लागू किये जा सकते हैं, न कि ऐसे समय जब चुनाव नहीं हो रहे हों।  

राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द करना

ECI ने अपने जवाब में कहा कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A के तहत वह किसी पार्टी को पंजीकृत कर सकता है, लेकिन आयोग के पास राजनीतिक दल का पंजीकरण रद्द करने की कोई शक्ति नहीं है सिवाय उन अपवादों को छोड़कर जिन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश में उल्लेख किया गया है।

बता दें कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस बनाम समाज कल्याण संस्थान और अन्य (2002) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करने या धारा 29A (5) के तहत ECI को दिए गए अपने वचन का उल्लंघन करने पर पंजीकरण रद्द किया जा सकता है।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस बनाम समाज कल्याण संस्थान और अन्य (2002) के मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि एक राजनीतिक दल का पंजीकरण रद्द किया जा सकता है जब:

(1) ECI  पाता है कि विचाराधीन राजनीतिक दल ने धोखाधड़ी या जालसाजी  से अपना पंजीकरण कराया  है,

(2) जब राजनीतिक दल धारा 29A (5) के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए एसोसिएशन के नामकरण, नियमों और विनियमों  को बदलता है या  आयोग को सूचित करता है कि उसने भारत के संविधान के प्रति आस्था और निष्ठा समाप्त कर दी है और

(3) जब केंद्र सरकार एक पंजीकृत राजनीतिक दल को अवैध घोषित करती है, उदाहरण के लिए UAPA 1967 की शर्तों के तहत।

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