Data Embassies: भारत में डेटा दूतावासों के लिए अलग नीति का मसौदा तैयार करने की योजना
एक समाचार रिपोर्ट के अनुसार, आगामी नीति के हिस्से के रूप में, सरकार केवल नॉन-पर्सनल डेटासेट को डेटा दूतावासों (Data embassies) में स्टोर करने की अनुमति दे सकती है।
इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने Data embassies के लिए एक अलग नीति का मसौदा तैयार करने की योजना बनाई है, अर्थात इसे डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2022 में शामिल नहीं किया जायेगा, जैसा कि बिजनेस स्टैंडर्ड ने रिपोर्ट की है।
नॉन-पर्सनल डेटा ऐसे किसी भी डेटासेट को कहा जाता है जिनमें ऐसी जानकारी नहीं होती है जिसका उपयोग किसी व्यक्ति की पहचान करने के लिए किया जा सकता है। ये डेटासेट उपभोक्ता खरीदारी के ट्रेंड, वाहन पंजीकरण के आंकड़े, कर संग्रह की जानकारी आदि हो सकते हैं।
ध्यातव्य है कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट भाषण 2023-24 में घोषणा की थी कि सरकार और अन्य राष्ट्रों के लिए बाधा रहित और निरंतर डिजिटल ट्रांसफर की सुविधा के लिए देश में “डेटा दूतावास” (Data embassies) स्थापित करेगी।
क्या होती हैं डेटा एम्बेसी?
Data embassies विश्वसनीय देशों के फिजिकल डेटा सेंटर हैं जिन्हें दूतावासों की तरह स्थानीय कानूनों से राजनयिक उन्मुक्ति (diplomatic immunity from local laws) प्राप्त होती है।
वर्ष 2015 में, Microsoft और एस्टोनिया, जो डिजिटल प्रशासन में दुनिया के सबसे परिपक्व देशों में से एक है, ने वर्चुअल डेटा दूतावास अनुसंधान परियोजना पर भागीदारी की। लक्ज़मबर्ग, मोनाको और कुछ अन्य देशों ने डेटा दूतावास मॉडल को अपनाया है।
अपनी E -एस्टोनिया पहल के माध्यम से, एस्टोनिया ने एक डिजिटल सोसाइटी का निर्माण किया है और दुनिया में सबसे तकनीकी रूप से एडवांस्ड सरकार विकसित की है। व्यावहारिक रूप से एस्टोनिया में हर सरकारी सेवा पेपरलेस है और इलेक्ट्रॉनिक रूप से की जाती है। नतीजतन, एस्टोनिया अपनी सूचना प्रणाली और उन पर स्टोर डेटा पर अत्यधिक निर्भर है।
वैसे पेपरलेस गवर्नमेंट के लाभ बहुत अधिक हैं, लेकिन यह कुछ चुनौतियों को भी जन्म देती है। एक समस्या यह है कि डेटा को कैसे सुरक्षित किया जाए जो किसी बड़ी प्राकृतिक आपदा या साइबर, आतंकवादी या सैन्य हमले की स्थिति में असुरक्षित हो सकता है।
अपने डेटा की सुरक्षा के लिए, एस्टोनिया ने Data embassies की अवधारणा विकसित की – अर्थात देश के बाहर किसी अन्य देश में डेटा सर्वर स्थापित करना जो कानूनी रूप से एस्टोनियाई अधिकार क्षेत्र में हो।
इनके द्वारा संग्रहीत प्रमुख डेटाबेस की डिजिटल कॉपी को देश में किसी बड़ी डेटा घटना की स्थिति में एक्सेस किया जा सकता है, जिससे इस छोटे से नॉर्डिक देश के डिजिटल लाइफब्लड की रक्षा होती है।
दुनिया का पहला डेटा दूतावास–एस्टोनिया
एस्टोनिया ने लक्ज़मबर्ग सरकार के साथ साझेदारी में दुनिया का पहला डेटा दूतावास (world’s first data embassy) लॉन्च किया।
जून 2017 में, एस्टोनिया के प्रधान मंत्री और लक्समबर्ग के प्रधान मंत्री ने एस्टोनियाई डेटा और संबंधित प्रणालियों के संबंध में दोनों सरकारों के बीच एक अद्वितीय द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो लक्समबर्ग के सरकारी स्वामित्व वाले डेटा केंद्र में संग्रहीत हैं।
यह समझौता दुनिया का पहला डेटा दूतावास स्थापित करने का आधार तैयार करता है।
Data embassy एस्टोनियाई सरकार क्लाउड का एक्सटेंशन है, जिसका अर्थ है कि एस्टोनियाई देशअपनी सीमाओं के बाहर सर्वर संसाधनों का मालिक है। इनका उपयोग न केवल डेटा बैकअप के लिए किया जाएगा, बल्कि क्रिटिकल सेवाओं के संचालन के लिए भी किया जाएगा।
फिजिकल एस्टोनियाई दूतावासों की तरह, सर्वरों को विदेशी डेटा सेंटर्स में संप्रभु दूतावास (sovereign embassies in foreign data centres) माना जाता है।
इस तरह एस्टोनिया “सीमा रहित देश” बनने की राह पर है, और Data embassy कई एस्टोनियाई कार्यक्रमों में से एक है जो एक डिजिटल दुनिया में राष्ट्रीय सीमाओं और संप्रभु पहचान की रेखाओं को धुंधला करता है।