Compassionate appointment: सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया है कि अनुकंपा नियुक्ति मृत कर्मचारी के आश्रितों का निहित अधिकार नहीं है
सुप्रीम कोर्ट ने 3 मार्च को दिए गए अपने महत्वपूर्ण फैसले में, ‘अनुकंपा नियुक्ति’ (Compassionate appointment) के लिए पश्चिम बंगाल के कुछ मृतक सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने रेखांकित किया कि अनुकंपा नियुक्ति मृत कर्मचारी के ऐसे आश्रितों का निहित अधिकार नहीं (compassionate appointment is not a vested right) है।
शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में क्रमशः ‘मुमताज यूनुस मुलानी बनाम महाराष्ट्र राज्य’ और ‘स्टेट बैंक ऑफ इंडिया बनाम सूर्य नारायण त्रिपाठी’ के मामलों में वर्ष 2008 और 2014 के अपने फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि “राज्य सरकार द्वारा इस संबंध में जारी की गई नीति अनुकंपा के आधार पर नियुक्तियां करने के लिए अनिवार्य है।”
पश्चिम बंगाल में स्थानीय प्राधिकरणों के तहत पदों पर अनुकंपा नियुक्तियों को नियंत्रित करने वाली नीति नहीं होने के कारण, अदालत ने याचिका दायर करने वाले आवेदकों को किसी प्रकार राहत देने से इनकार कर दिया।
अनुकंपा नियुक्तियों की अवधारणा
बता दें कि अनुकंपा नियुक्तियों की अवधारणा को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39 में खोजा जा सकता है, जो राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के तहत है और आजीविका के अधिकार के बारे में बात करता है।
इसका उद्देश्य ऐसे सरकारी कर्मचारी के आश्रित परिवार के सदस्यों को अनुकंपा के आधार पर रोजगार प्रदान करना है, जो सेवा के दौरान मर जाते हैं या चिकित्सा आधार पर सेवानिवृत्त हो जाते हैं, और जिससे परिवार जीविका विहीन होकर असहाय हो जाता है।
अनुकम्पा नियुक्तियों के अनुरोध का आकलन करते समय कई कारकों पर ध्यान दिया जाता है, जैसे कि परिवार की वित्तीय स्थिति, कमाने वाले सदस्यों की उपस्थिति, परिवार का आकार, बच्चों की उम्र और परिवार की आवश्यक ज़रूरतें।
केंद्र सरकार के कार्मिक विभाग ( DoPT) के 16 जनवरी, 2023 के कार्यालय ज्ञापन के अनुसार, ये नियुक्तियां केवल “समूह ‘C’ पदों के लिए सीधी भर्ती कोटा के तहत की जा सकती हैं।”
DoPT कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय द्वारा 2 अगस्त, 2022 को दिए गए “केंद्र सरकार के तहत अनुकंपा नियुक्ति” पर दिए गए निर्देशों के अनुसार, अनुकंपा नियुक्तियां ऐसे सरकारी कर्मचारी के आश्रित परिवार के सदस्यों तक विस्तारित हो सकती हैं, जिनकी: (a) सेवा के दौरान मृत्यु हो जाती है (आत्महत्या से मृत्यु सहित) या (b) चिकित्सा के आधार पर सेवानिवृत्त हो हो गए हों।
यह प्रावधान सशस्त्र बल के ऐसे कर्मचारी के परिवार के सदस्यों के लिए भी है जो: (a) सेवा के दौरान मर जाते हैं; (b) जवाबी कार्रवाई में मारे गए हैं; या (c) चिकित्सकीय रूप से बोर्ड आउट हो गए हैं और सिविल रोजगार के लिए अनुपयुक्त हो गए हैं।
नियुक्तियां संबंधित मंत्रालय या विभाग में प्रशासन के प्रभारी संयुक्त सचिव द्वारा की जाती हैं