M-Sand: कोल इंडिया लिमिटेड बड़े पैमाने पर परियोजनाओं की शुरुआत करेगी

‘ओपनकास्ट माइनिंग’ (Opencast mining) के दौरान कोयला निकालने के लिए ऊपर की मिट्टी और चट्टानों को कचरे के रूप में हटा दिया जाता है तथा चट्टान (ओवरबर्डन -Overburden or OB) को डंप में फेंक दिया जाता है।

  • अधिकांश कचरे का सतह पर ही निपटान किया जाता है जो काफी जमीन को घेर लेता है। खनन के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए व्यापक योजना और नियंत्रण की आवश्यकता होती है।
  • कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) ने खानों में रेत के उत्पादन के लिए ओवरबर्डन चट्टानों को प्रोसेस करने की योजना बनायी है क्योंकि Overburden सामग्री में लगभग 60 प्रतिशत बलुआ पत्थर होता है। ओवरबर्डन को कुचलने और प्रोसेसिंग करने के माध्यम से इसका उपयोग किया जा सकता है।

रेत खनन कानून और लघु खनिज

  • खान और खनिज (विकास और विनियम) अधिनियम, 1957 (MMDR अधिनियम) के तहत रेत को “लघु खनिज” (minor mineral) के रूप में वर्गीकृत किया गया है। लघु खनिजों का प्रशासनिक नियंत्रण राज्य सरकारों के पास है और इसे राज्यों के अपने नियमों के माध्यम से नियंत्रित किया जाता है।
  • बहुत अधिक मांग, नियमित आपूर्ति और मानसून के दौरान नदी के इकोसिस्टम की सुरक्षा के लिए रेत खनन पर पूर्ण प्रतिबंध के कारण नदी की रेत का विकल्प खोजना बहुत आवश्यक हो गया है।
  • इसी को ध्यान में रखते हुए खान मंत्रालय द्वारा तैयार ‘सैंड माइनिंग फ्रेमवर्क’ (2018) में कोयले की खानों के ओवरबर्डन (ओबी) से क्रश्ड रॉक फाइन्स (क्रशर डस्ट) से मैन्युफैक्चर्ड रेत (M -सैंड) के रूप में प्राप्त रेत के वैकल्पिक स्रोतों की चर्चा की गई है।

कोयला खानों के ओवरबर्डन से मैन्युफैक्चर्ड रेत (M-सैंड) के लाभ

  • कॉस्ट इफेक्टिव: प्राकृतिक रेत के उपयोग की तुलना में M-सैंड का उपयोग करना अधिक किफायती हो सकता है, क्योंकि इसे कम लागत पर बड़ी मात्रा में उत्पादित किया जा सकता है।
  • निरंतरता: निर्मित रेत में एक समान दानेदार आकार हो सकता है, जो उन निर्माण परियोजनाओं के लिए लाभदायक हो सकता है जिनके लिए विशेष आकार-प्रकार के रेत की आवश्यकता होती है।
  • पर्यावरणीय लाभ: M-सैंड का उपयोग प्राकृतिक रेत के खनन की आवश्यकता को कम कर सकता है। प्राकृतिक रेत के खनन के नकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव हो सकते हैं। इसके अलावा, कोयले की खदानों से ओवरबर्डन का उपयोग करने से उन सामग्रियों का पुन: उपयोग करने में मदद मिल सकती है जिन्हें कचरा माना जाता है।
  • पानी की कम खपत: M-सैंड का उपयोग निर्माण परियोजनाओं के लिए आवश्यक पानी की मात्रा को कम करने में मदद कर सकता है, क्योंकि इसे उपयोग करने से पहले धोने की आवश्यकता नहीं होती है।
  • बेहतर कार्य क्षमता: निर्मित रेत अधिक दानेदार होता है और इसकी सतह खुरदरी होती है, जो इसे निर्माण परियोजनाओं के लिए अधिक व्यावहारिक बनाती है।
  • नदी से कम बालू निकाले जाने से चैनल बेड और नदी के किनारों का कम क्षरण होगा और जल में रहने वाले जीवों को बचाया जा सकेगा
  • जल स्तर (वाटर टेबल) बनाए रखने में मदद मिलेगी।
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