नए अध्ययन के अनुसार जलवायु परिवर्तन से दीमक की गतिविधियां बढ़ेंगी

हाल के एक अध्ययन में पाया गया है कि दीमक (termites) गर्म परिस्थितियों में लकड़ी को तेज दर से विघटित करते हैं। इस अध्ययन में कहा गया है कि तापमान में प्रत्येक 10 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से इनकी अपघटन गतिविधि लगभग सात गुना बढ़ जाती है।

अध्ययन के निष्कर्ष

साइंस जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन से यह भी पता चलता है कि जैसे-जैसे पृथ्वी गर्म होगी, दुनिया भर में दीमक तेजी से फैलेगी। इससे वैश्विक तापमान में और वृद्धि हो सकती है, क्योंकि ये छोटे कीड़े मृत लकड़ियों का सेवन करते समय कार्बन को वातावरण में छोड़ते हैं।

दुनिया भर में दीमकों की लगभग 3,000 प्रजातियां हैं, जिनमें पौधों के अवशेष और यहां तक कि मिट्टी को चट कर जाने वाले दीमक भी शामिल हैं। हालांकि, इनमें सबसे प्रसिद्ध दीमक लकड़ी खाने वाले हैं।

शोधकर्ताओं के अनुसार, दीमक में मृत लकड़ी यानी कार्बन युक्त पेड़ों के मृत भागों को विघटित करने की क्षमता के कारण पृथ्वी की इकोसिस्टम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाती है और इसीलिए यह अध्ययन उन पर केंद्रित है।

जैसा कि अपेक्षित था, माइक्रोब्स और दीमक, दोनों ने लकड़ी के टुकड़ों को विघटित कर दिया लेकिन अध्ययन में पाया गया कि उच्च तापमान पर कीड़ों की अपघटन गतिविधि क्षमता (insects’ decaying activity) में अनुपातहीन रूप से अधिक वृद्धि हुई थी। उदाहरण के लिए, 30 डिग्री सेल्सियस के तापमान वाले क्षेत्र में दीमक 20 डिग्री सेल्सियस के तापमान वाले स्थान की तुलना में सात गुना तेजी से लकड़ी चट कर जाती हैं।

शोधकर्ता ने यह भी देखा कि ये लकड़ी खाने वाले दीमक गर्म और शुष्क परिस्थितियों में जीवित रहने में सक्षम थे, वहीं माइक्रोब्स के विकास के लिए पानी की आवश्यकता होती है।

जैसे-जैसे एक पेड़ बड़ा होता है, उसके कुछ हिस्से मृत हो जाते हैं और मृत लकड़ी बन जाते हैं, जो अंततः माइक्रोब्स और दीमक जैसे कीड़ों द्वारा विघटित कर दिए जाते हैं।

मृत लकड़ी के सड़ने से न केवल विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व बाहर आते हैं बल्कि कार्बन भी उत्सर्जित होता है। अध्ययन के अनुसार, दीमक मृत लकड़ी से कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन के रूप में कार्बन छोड़ते हैं, जो दो सबसे महत्वपूर्ण ग्रीनहाउस गैसें हैं।

इस तरह साइंस जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन का निष्कर्ष यह है कि दीमक की आबादी में वृद्धि और उनकी तेजी से अपघटन करने वाली क्षमता अधिक ग्रीनहाउस उत्सर्जन का कारण बन सकती है, जिसके परिणामस्वरूप पृथ्वी गर्म ग्रह बन सकता है।

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