CITES COP19 ने समुद्री खीरे (Sea cucumber) को परिशिष्ट II सूची में शामिल किया
पनामा सिटी में आयोजित वन्य जीवों और वनस्पतियों की संकटापन्न प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कवेंशन (CITES) पर पक्षकारों के 19 वें सम्मेलन (COP-19) ने समुद्री खीरे (Sea cucumbers) को परिशिष्ट II (Appendix II) में शामिल करने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है।
COP19 ने जीनस थेलेनोटा (genus Thelenota) यानी समुद्री खीरे को इस सूची में शामिल करने का निर्णय लिया, जो यह वर्गीकृत करता है कि प्रजाति विलुप्त होने के खतरे का सामना नहीं कर रही है लेकिन इसके अधिक दोहन से बचाने के लिए व्यापार को विनियमित किया जाना चाहिए ताकि इसके अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न नहीं हो।
परिशिष्ट II व्यापार को प्रतिबंधित नहीं करता वरन व्यापार को रेगुलेट करता है।
यूरोपीय संघ, सेशेल्स और संयुक्त राज्य अमेरिका ने थेलेनोटा के तहत तीन प्रजातियों को परिशिष्ट II में शामिल करने का प्रस्ताव किया था। समुद्री पारिस्थितिक तंत्र में उनकी भूमिका का हवाला देते हुए, फ्रांस ने समुद्री खीरे की रक्षा करने की आवश्यकता पर बल दिया।
समुद्री खीरे (Sea cucumber) के बारे में
समुद्री खीरे समुद्र तल पर वही भूमिका निभाते हैं जो केंचुए जमीन पर निभाते हैं।
सी-ककंबर टैक्सोनोमिक क्लास होलोथुरोइडिया (Holothuroidea) से संबंधित हैं और उन्हें ईचीनोडरमाता फाइलम (Echinodermata phylum) के तहत रखा गया है, जिसमें कई अन्य प्रसिद्ध समुद्री अकशेरूकीय (invertebrates) भी शामिल हैं, जैसे कि सी-स्टार, सी-अर्चिन और सैंड डॉलर शामिल हैं।
सी-ककंबर का नाम खीरे के समान होने के कारण रखा गया है। समुद्री खीरे यानी सी-ककम्बर (sea cucumber) नाम होने के बावजूद ये सब्जियां नहीं हैं.
दक्षिण एशिया में आमतौर पर सी-ककम्बर नहीं खाए जाते हैं। इसके बजाय, पूर्वी एशिया में इसकी मांग अधिक है, जहां उन्हें स्वादिष्ट माना जाता है और ताजा या सूखे खाया जाता है। इसका उपयोग पारंपरिक चीनी दवा में भी किया जाता है।
भारत ने वर्ष 2001 में सी-ककम्बर मत्स्यन और निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। सी-ककम्बर (sea cucumber) को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची I के तहत सूचीबद्ध किया गया है।
लक्षद्वीप प्रशासन ने 239 वर्ग किमी में फैले क्षेत्र में संकटापन्न सी-ककम्बर के लिए दुनिया का पहला संरक्षण क्षेत्र ( world’s first conservation area for endangered sea cucumbers) बनाने की घोषणा की है।
सितंबर 2022 में वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन सोसाइटी-इंडिया (डब्ल्यूसीएस-इंडिया) द्वारा प्रकाशित एक विश्लेषण से पता चला है कि समुद्री खीरे 2015-2021 से भारत में सबसे अधिक बार तस्करी की जाने वाली समुद्री प्रजातियां थीं। विश्लेषण के अनुसार, इस अवधि के दौरान तमिलनाडु में इस समुद्री वन्यजीव बरामदगी की सबसे अधिक संख्या दर्ज की गई थी। इसके बाद महाराष्ट्र, लक्षद्वीप और कर्नाटक का स्थान था।
CITES परिशिष्ट (Appendix)
CITES द्वारा कवर की जाने वाली प्रजातियों को संरक्षण की आवश्यकता के अनुसार तीन परिशिष्टों में सूचीबद्ध किया गया है।
परिशिष्ट I (Appendix I) में विलुप्त होने के खतरे वाली प्रजातियों को शामिल किया गया है। इन प्रजातियों के सैंपल के व्यापार की केवल असाधारण परिस्थितियों में ही अनुमति है।
परिशिष्ट II (Appendix II) में ऐसी प्रजातियां शामिल हैं जिनके विलुप्त होने का खतरा नहीं है, लेकिन उनके अस्तित्व के साथ असंगत उपयोग से बचने के लिए व्यापार को नियंत्रित किया जाना चाहिए।
परिशिष्ट III (Appendix III) में ऐसी प्रजातियां शामिल हैं जो कम से कम एक देश में संरक्षित हैं और प्रत्येक पक्षकार को इसमें एकतरफा संशोधन करने का अधिकार है।