Designation of senior lawyers: केंद्र सरकार ने “वरिष्ठ वकीलों के पदनाम के लिए दिशानिर्देश” में संशोधन की मांग की है
केंद्र सरकार ने ‘इंदिरा जयसिंह बनाम भारत संघ’ के मामले में सुप्रीम कोर्ट के 2017 के निर्णय के बाद जारी “वरिष्ठ वकीलों के पदनाम के लिए दिशानिर्देश” (guidelines for the designation of senior lawyers) को बदलने की मांग की है।
- केंद्र सरकार ने ‘अमर विवेक अग्रवाल और अन्य बनाम पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय और अन्य’ निर्णय में संशोधन के लिए आवेदन दायर किया है।
- केंद्र सरकार “प्वाइंट-बेस्ड सिस्टम” के आधार पर वकीलों के पदनाम दिशानिर्देश पर 2017 के आदेश को संशोधित करने की मांग कर रही है, जिसमें आलेख प्रकाशनों, व्यक्तित्व और साक्षात्कार के माध्यम से किसी व्यक्ति की उपयुक्तता को 40% वेटेज दिया गया था। केंद्र सरकार ने तर्क दिया कि यह प्रणाली व्यक्तिपरक, अप्रभावी है, और यह पारंपरिक रूप से सम्मानित किए जाने वाली प्रतिष्ठा की गरिमा को कम करती है।
- बता दें कि अक्टूबर 2018 में, सर्वोच्च न्यायालय ने “वरिष्ठ अधिवक्ताओं के पदनाम के सम्मान को विनियमित करने के लिए दिशानिर्देश” (Guidelines to Regulate the Conferment of Designation of Senior Advocates) की एक सूची जारी की थी।
- यह भारत की पहली महिला वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह (‘इंदिरा जयसिंह बनाम भारत संघ’) द्वारा दायर एक मामले में 2017 के फैसले के बाद जारी किया था, जिसमें सीनियर एडवोकेट डिजाइनेशन की प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता की मांग की गई थी।
- दिशानिर्देशों ने ‘गुप्त मतदान द्वारा मतदान’ की प्रणाली को हतोत्साहित किया, उन मामलों को छोड़कर जहां यह “अपरिहार्य” था।
- 2018 के दिशानिर्देशों के अनुसार, “वरिष्ठ अधिवक्ता’ के पदनाम के लिए समिति का गठन किया गया है। CJI की अध्यक्षता वाली समिति में सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठतम न्यायाधीश, भारत के अटॉर्नी जनरल, और बार काउंसिल के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों द्वारा नामित “बार का एक सदस्य” शामिल होना था। समिति को वर्ष में कम से कम दो बार मिलना था।
वरिष्ठ अधिवक्ता: पदनाम और विशेषाधिकार
- वरिष्ठ अधिवक्ताओं को भारत के सर्वोच्च न्यायालय (SCI) या किसी उच्च न्यायालय द्वारा नामित किया जाता है।
- न्यायालय किसी भी अधिवक्ता को उसकी सहमति से, वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित कर सकता है, यदि उसकी राय में उसकी क्षमता और बार में खड़े होने या कानून में विशेष ज्ञान या अनुभव रखता हो।
- 1961 के अधिवक्ता अधिनियम के तहत वरिष्ठ अधिवक्ता के प्रावधान किये गए हैं।
- एक वरिष्ठ अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड के बिना या भारत में किसी अन्य अदालत या ट्रिब्यूनल में एक जूनियर के बिना उपस्थित होने का हकदार नहीं है।
- एक वरिष्ठ अधिवक्ता किसी न्यायालय, या ट्रिब्यूनल या किसी व्यक्ति या अन्य प्राधिकरण के समक्ष वकालतनामा दायर नहीं करेगा।
- ऐसे अधिवक्ता विशेष वस्त्र पहनते हैं।