नियंत्रक और महालेखा परीक्षक ने उपकर (cess) और अधिभार (surcharge) से प्राप्त आय के उपयोग पर चिंता जताई

भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने उपकर (cess) और अधिभार (surcharge) से प्राप्त आय के उपयोग पर चिंता जताई है।

CAG ने संसद में पेश किए गए केंद्र सरकार के खातों के वित्तीय ऑडिट रिपोर्ट में कहा कि 2020-21 के दौरान सेस और लेवी की जांच के दौरान पाया गया कि इन स्रोतों से संग्रह राशि वांछित उद्देश्यों को कम ट्रांसफर किये गए या बिलकुल नहीं किये गए।

प्रमुख चिंताएं

  • लेखापरीक्षा ऑडिट से पता चलता है कि सेस से प्राप्त आय को कम ट्रांसफर किया गया। CAG ने रिपोर्ट में यूनिवर्सल एक्सेस लेवी (ग्रामीण क्षेत्रों में दूरसंचार सेवाएं प्रदान करने के लिए यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड के लिए) और राष्ट्रीय खनिज ट्रस्ट लेवी (खानों की रॉयल्टी के 2% पर लगाया गया) शामिल हैं।
  • रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि माध्यमिक और उच्चतर शिक्षा कोष (MUSK) शुरू ही नहीं हो पाया है। इसे स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर के माध्यम से वित्त पोषित किया जाना है। माध्यमिक और उच्चतर शिक्षा कोष (MUSK) को जुलाई 2017 में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी दी गयी थी। इसकी लेखा प्रक्रिया को अंतिम रूप न देने के कारण इसे चालू नहीं किया गया है।
  • उपकर और अधिभार के उपयोग में पारदर्शिता की कमी पर चिंता व्यक्त की जाती ही है। बजट दस्तावेज भी इन शुल्कों के सटीक उपयोग को प्रकट नहीं करते हैं।
  • बता दें कि केंद्र सरकार ने 20 दिसंबर 2022 को संसद को सूचित किया था कि वित्त वर्ष 2022 में सेस और सरचार्ज सकल कर राजस्व का 28.1% था, जबकि वित्त वर्ष 2015 में यह 18.2% था। हालाँकि, इसमें जीएसटी क्षतिपूर्ति सेस भी शामिल है, जो पूरी तरह राज्यों को ट्रांसफर किया जाता रहा है।
  • कुछ सेस निधियों को विशेष योजनाओं और गतिविधियों के लिए राज्यों के साथ साझा किया जाता है, लेकिन पेट्रोलियम पर विशेष उत्पाद शुल्क केवल केंद्र द्वारा उपयोग किया जाता है और राज्यों को नहीं दिया जाता है।
  • सेस और सरचार्ज संसाधनों के विभाज्य पूल का हिस्सा नहीं हैं अर्थात इन्हें राज्यों के साथ अनिवार्य रूप से साझा नहीं किया जा सकता और केंद्र के विवेक के अनुसार इसका उपयोग किया जाता है।
  • ये उपकर और अधिभार वित्तीय शक्तियों के संदर्भ में संघ और राज्यों के बीच एक प्रकार का असंतुलन पैदा करते हैं।

सेस और सरचार्ज में अंतर

क्या है सेस यानी उपकर?

  • सेस या उपकर (cess) किसी विशेष उद्देश्य के लिए धन जुटाने के लिए सरकार द्वारा लगाया गया एक अतिरिक्त कर है। प्रमुख उपकरों में स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर, पेट्रोल और डीजल पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, सड़क और बुनियादी ढांचा उपकर, राष्ट्रीय आपदा आकस्मिक शुल्क, कच्चे तेल और निर्यात पर उपकर शामिल हैं।
  • संविधान का अनुच्छेद 270 सेस/उपकर का वर्णन करता है। उपकर संघ या राज्य सरकारों द्वारा लगाया जा सकता है।
  • किसी विशेष सेवा या क्षेत्र के विकास के लिए सरकार द्वारा सेस लगाया और संग्रह किया जाता है।
  • स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर से प्राप्त आय का उपयोग किसी अन्य साधन के लिए नहीं किया जा सकता है।
  • मुफ्त प्राथमिक शिक्षा और मध्यान्ह भोजन के लिए शिक्षा उपकर का प्रस्ताव किया गया था।
  • स्वास्थ्य उपकर गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लगाया गया था।
  • स्वच्छ ऊर्जा उपकर 2010 में पेश किया गया था।
  • कृषि गतिविधियों के लिए किसानों को अतिरिक्त सहायता प्रदान करने के लिए 2016 में कृषि कल्याण सेस शुरू किया गया था।
  • स्वच्छ भारत उपकर 2014 में पेश किया गया था।
  • 2021 में, उत्तर प्रदेश सरकार ने शराब पर “कोरोना सेस” लगाया था। इसके बाद शराब की कीमतों में 10-40 रुपये प्रति बोतल की बढ़ोतरी की गई।

सरचार्ज/अधिभार के बारे में

  • भारत के संविधान के अनुच्छेद 271 के तहत अधिभार लगाने का उल्लेख है।
  • अधिभार वास्तव में कर पर कर है। यह अर्जित आय पर भुगतान किये जाने आयकर पर लगाया जाता है। मान लीजिए, आपकी आय 10,000 रुपये है, जिस पर आपको 20 रुपये टैक्स के रूप में देने होंगे। इसलिए 20 रुपये के कर पर अधिभार 10% होगा, तो फिर आपको 2 रुपये सरचार्ज के रूप में भुगतान करना होगा। भारत में, 10% का अधिभार लगाया जाता है यदि किसी व्यक्ति की शुद्ध आय 50 लाख रुपये से अधिक है। यदि व्यक्ति की आय 1 करोड़ रुपये से अधिक है तो 15% का अधिभार लगाया जाता है।
  • संघ द्वारा लगाए गए अधिभार और उपकर से प्राप्त आय भारत की संचित निधि (Consolidated Fund of India) का हिस्सा होती हैं।
  • इन स्रोतों से अर्जित आय को राज्य सरकारों के साथ साझा करने की आवश्यकता नहीं है और इस प्रकार यह केंद्र सरकार के पूर्ण विवेक पर निर्भर करता है।

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