RBI के पेपर में कहा गया है कि ‘बिगटेक’ वित्तीय स्थिरता के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं’
भारतीय रिजर्व बैंक ने “वित्तीय क्षेत्र में बिगटेक: संतुलन प्रतिस्पर्धा और स्थिरता” (Bigtechs in the Financial Domain: Balancing Competition and Stability) शीर्षक से मासिक बुलेटिन प्रकाशित किया है।
‘बिग टेक‘ शब्द अपने संबंधित क्षेत्रों में सबसे प्रभावशाली और सबसे बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों को कहा जाता है। माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, एप्पल, फेसबुक इसके कुछ उदाहरण हैं।
रिपोर्ट में किन चिंताओं की ओर इशारा किया गया है?
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि बिगटेक अपने साथ अधिक वित्तीय समावेशन, कुशल संचालन और लेनदेन की कम लागत जैसे लाभ लाते हैं, लेकिन वे प्रतिस्पर्धा, ऑपरेशनल रेसिलिएंस संबंधी चिंताएं और वित्तीय स्थिरता के लिए खतरा भी पैदा करते हैं।
वित्तीय क्षेत्र में ‘बिगटेक’ फर्मों की जटिल गवर्नेंस स्ट्रक्चर एंटिटी-आधारित रेगुलेशन के प्रभावी निरीक्षण और डिजाइन के दायरे को सीमित करती है।
अपनी जटिल स्ट्रक्चर के अलावा, बिगटेक वित्तीय सेवाओं के प्रावधान के सीधे संपर्क के माध्यम से जोखिम और परिपक्वता परिवर्तन कार्यों को प्रभावित कर सकते हैं।
कभी-कभी यह वित्तीय स्थिरता को कमजोर करते हुए, शैडो बैंकिंग गतिविधियों को भी चला सकते हैं।
बिग-टेक, तीसरे पक्ष के सेवा प्रदाता बने हुए हैं और आम तौर पर अपने प्लेटफार्म पर कई सेवाओं/उत्पादों को दिखाते हैं। यह विशिष्ट रूप से बिगटेक को आसानी से क्रॉस-फ़ंक्शनल डेटाबेस प्राप्त करने में मदद करता है जिसका उपयोग इनोवेटिव उत्पाद बनाकर सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचकर मार्केट में प्रभुत्व स्थापित कर सकते हैं।
बिगटेक के मुख्य व्यवसाय सूचना प्रौद्योगिकी और कंसल्टेंसी में हैं, जिसमें क्लाउड कंप्यूटिंग और डेटा एनालिटिक्स शामिल हैं, जो उनके राजस्व का 46 प्रतिशत है, वहीं वित्तीय सेवाएं उनके राजस्व में 11 प्रतिशत का योगदान करती हैं।
इन संस्थाओं द्वारा पेमेंट सर्विसेज में किसी भी प्रकार की रुकावट के परिणामस्वरूप वित्तपोषण गतिविधि में व्यवधान हो सकता है। गैर-वित्तीय सेवाओं की किसी भी फेलियर से उत्पन्न ऑपरेशनल रिस्क बड़ा खतरा है, जो वित्तीय सेवाओं के लिए बड़ी घटना हो सकती है।
चीन, यूरोप और अमेरिका सहित दुनिया भर के रेगुलेटर्स ने वित्तीय क्षेत्र में बिगटेक और उनके व्यापार मॉडल की जांच बढ़ा दी है और बिगटेक द्वारा प्रस्तुत खतरों से निपटने के लिए नीतिगत ढांचे को समायोजित कर रहे हैं।
सुझाव
बिगटेक के जोखिमों का समाधान एंटिटी और एक्टिविटी-आधारित नियमों के मिश्रण के साथ रेगुलेटरी फ्रेमवर्क को कैलिब्रेट करने में निहित है।
RBI के उपर्युक्त पेपर में दिखाया गया है कि एक्टिविटी-विशिष्ट लाइसेंस, डेटा सुरक्षा, तीसरे पक्ष के एप्लीकेशन के साथ समान व्यवहार, डेटा पोर्टेबिलिटी, बिगटेक द्वारा उत्पन्न जोखिमों को सीमित करने के लिए अच्छी तरह से शुभ संकेत हैं।
जैसे-जैसे वित्तीय क्षेत्र में बिगटेक की गतिविधियां बढ़ रही हैं, प्रतिस्पर्धा (एंटी-ट्रस्ट), डेटा, गवर्नेंस और वित्तीय अधिकारियों के बीच घनिष्ठ सहयोग की जरुरत है ताकि प्रतिस्पर्धा की रक्षा और वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए नियमों को डिजाइन या अपडेट किया जा सके।