यो-यो टेस्ट और डेक्सा स्कैन टेस्ट
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने टीम में चयन के उद्देश्य से यो-यो टेस्ट (Yo-Yo Test) फिर से शुरू करने और डेक्सा स्कैन (Dexa scans) भी शुरू करने की घोषणा की है।
यो-यो टेस्ट (Yo-Yo Test) के बारे में
यह डेनिश फुटबॉल फिजियोलॉजिस्ट जेन्स बैंग्सबो द्वारा विकसित किया गया था। यह एक “अधिकतम एरोबिक सहनशीलता फिटनेस टेस्ट” (maximal aerobic endurance fitness test) है, जिसमें 20 मीटर की दूरी स्थित दो मार्करों के बीच दौड़ना होता है। इस दौरान गति बढ़ाई जाती रहती है और यह तब तक जारी रहती है जबतक एथलीट पूरी तरह थक नहीं जाये।”
Yo-Yo Test के सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले वर्शन में ऑडियो संकेतों के बाद 20 मीटर की दूरी पर दो मार्करों के बीच दौड़ना होता है। ऑडियो संकेतों से जरूरी स्पीड निर्धारित की जाती है। प्रत्येक 40 मीटर की दौड़ के बाद, प्रतिभागियों को फिर से 40 मीटर दौड़ने से पहले 10 सेकंड का ब्रेक दिया जाता है।
नियमित अंतराल पर, स्पीड बढ़ा दी जाती है। टेस्ट तब तक जारी रहता है जब तक कि प्रतिभागी बढ़ी हुई निर्धारित स्पीड पर दौड़ने में सक्षम नहीं हो जाते। खिलाड़ियों को इस आधार पर अंक दिए जाते हैं कि वे कितने स्तरों को पार कर पाते हैं।
यो-यो टेस्ट पहली बार विराट कोहली की फिटनेस-सेंटर्ड कप्तानी के दौरान भारतीय क्रिकेट टीम के लिए शुरू की गयी थी।
पहले, BCCI ने टेस्ट पास करने के लिए न्यूनतम स्कोर 17 निर्धारित किया गया था।
डेक्सा (dual x-ray absorptiometry) स्कैन
डेक्सा स्कैन (Dexa scans) शरीर के माध्यम से आमतौर पर कूल्हे और रीढ़ में अधिक और निम्न ऊर्जा एक्स-रे बीम (आयनीकरण विकिरण का एक रूप) पास कराकर अस्थि सघनता/bone density (हड्डियों की मोटाई और ताकत) को मापता है।
डेक्सा परीक्षणों के माध्यम से, प्रशिक्षक शरीर में वसा प्रतिशत, दुबली मांसपेशियों, जल की मात्रा और बोन डेंसिटी को मापते हैं।
T20 क्रिकेट की शुरुआत और खेल के प्रोफेशनल रूप सामने आने के साथ खिलाड़ियों के वर्कलोड में अधिक वृद्धि हुई । इसी के चलते 2011 में BCCI और नेशनल क्रिकेट अकादमी को डेक्सा स्कैन शुरू करने की सिफारिश की गई थी।