बेस एडिटिंग-क्रांतिकारी थैरेपी से बच्ची का लाइलाज कैंसर ठीक हुआ
ब्रिटेन के एक अस्पताल में क्रांतिकारी नई प्रकार की दवा का पहली बार उपयोग से एक किशोर लड़की का लाइलाज कैंसर (ल्यूकेमिया) उसके शरीर से नष्ट हो गया है।
मुख्य तथ्य
- लंदन के ग्रेट ऑरमंड स्ट्रीट अस्पताल के डॉक्टरों ने उस बच्ची का इलाज करने के लिए “बेस एडिटिंग” (Base Editing) नामक एक तकनीक का इस्तेमाल किया, जिसका आविष्कार केवल छह साल पहले किया गया था। इसके तहत एक नई सजीव दवा (living drug) बनाने के लिए बायोलॉजिकल इंजीनियरिंग का सहारा लिया गया।
- इलाज के छह महीने बाद उस बच्ची में कैंसर नहीं दिख रहा है, हालांकि अभी भी उसकी निगरानी की जा रही है।
- एलिसा, जो 13 साल की है और लीसेस्टर, यूके से है, को मई 2021 में T-सेल एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया का पता चला था। उसका कैंसर आक्रामक चरण में था। कीमोथैरेपी, और फिर बोन-मैरो ट्रांसप्लांट से इस कैंसर को शरीर से निकालने में असफलता हाथ लगी थी।
बेस एडिटिंग (Base Editing) क्या है?
- बेस हमारे शरीर के निर्माण का आधार (language of life) है। बेस चार प्रकार के होते हैं – एडेनिन (A), साइटोसिन (C), गुआनिन (G) और थाइमिन (T)।
- ये हमारे जेनेटिक कोड के बिल्डिंग ब्लॉक्स हैं। जिस तरह वर्णमाला के अक्षर अर्थ वाले शब्दों का उच्चारण करते हैं, उसी तरह हमारे DNA के अरबों बेस हमारे शरीर के लिए निर्देश पुस्तिका को बयां करते हैं।
- बेस एडिटिंग वैज्ञानिकों को जेनेटिक कोड के एक सटीक हिस्से को ज़ूम करने और फिर सिर्फ एक बेस की आणविक संरचना को बदलने, इसे दूसरे में बदलने और जेनेटिक निर्देशों में बदलाव की अनुमति देता है।
- डॉक्टरों और वैज्ञानिकों की बड़ी टीम ने इस टूल का उपयोग एक नए प्रकार के T-सेल को इंजीनियर करने के लिए किया जो एलिसा की कैंसरग्रस्त T-कोशिकाओं को खोजने और मारने में सक्षम था।
- इन T-कोशिकाओं को शरीर के संरक्षक माना जाता है यानी खतरों की तलाश करना और नष्ट करना लेकिन एलिसा के लिए, ये खतरे बन गए थे और नियंत्रण से बाहर हो रहे थे।
T-कोशिकाएं (T-Cells)
- T कोशिकाएं एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिका होती है।
- T कोशिकाएं प्रतिरक्षा प्रणाली का हिस्सा हैं और बोन मेरो में स्टेम कोशिकाओं से विकसित होती हैं।
- वे शरीर को संक्रमण से बचाने में मदद करती हैं और कैंसर से लड़ने में मदद कर सकती हैं।
- इसे T लिम्फोसाइट्स और थाइमोसाइट भी कहा जाता है।
- T कोशिकाएं दशकों से मनुष्यों में प्रतिरक्षा होमियोस्टैसिस को बनाए रखते हैं लेकिन सूजन या ऑटोइम्यून बीमारियों के लिए भी जिम्मेदार हो सकते हैं।