उत्तराखंड के देवस्थल में एशिया के सबसे बड़े 4-मीटर अंतर्राष्ट्रीय लिक्विड मिरर टेलीस्कोप (ILMT) का उद्घाटन
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने उत्तराखंड के देवस्थल में एशिया के सबसे बड़े 4-मीटर अंतर्राष्ट्रीय लिक्विड मिरर टेलीस्कोप (International Liquid Mirror Telescope: ILMT) का उद्घाटन किया।
आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज- एआरईईएस (ARIES) ने घोषणा की कि विश्व स्तरीय 4-मीटर इंटरनेशनल लिक्विड मिरर टेलीस्कोप (ILMT) अब सुदूर एवं गहन आकाशीय अंतरिक्ष का पता लगाने के लिए तैयार है।
इसने मई 2022 के दूसरे सप्ताह में अपना पहला प्रकाश प्राप्त किया।
ILMT टेलीस्कोप के बारे में
यह टेलीस्कोप नैनीताल जिले में ARIES के देवस्थल स्थित वेधशाला परिसर में 2450 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
ILMT सहयोग में भारत की ARIES, बेल्जियम के लीज विश्वविद्यालय और बेल्जियम की रॉयल वेधशाला, पोलैंड की पॉज़्नान वेधशाला, उज़्बेक विज्ञान अकादमी के उलुग बेग खगोलीय संस्थान और उज़्बेकिस्तान के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय एवं ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय, लवल विश्वविद्यालय, मॉन्ट्रियल विश्वविद्यालय, टोरंटो विश्वविद्यालय, यॉर्क विश्वविद्यालय और कनाडा में विक्टोरिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ता शामिल हैं। इस टेलिस्कोप को एडवांस्ड मैकेनिकल एंड ऑप्टिकल सिस्टम्स (AMOS) कॉर्पोरेशन और बेल्जियम में सेंटर स्पैटियल डी लीज द्वारा डिजाइन और निर्मित किया गया था ।
पारंपरिक टेलीस्कोप और लिक्विड मिरर टेलीस्कोप में क्या हैं अंतर?
पारंपरिक टेलीस्कोप ऑब्जरवेशन के लिए आकाश में किसी टारगेट खगोलीय स्रोत को केंद्रित करके संचालन किया जाता है। दूसरी ओर, लिक्विड मिरर टेलिस्कोप स्थिर दूरबीन (stationary telescopes) हैं जो आकाश की एक पट्टी की छवि बनाती हैं जो रात में एक निश्चित समय पर चरम पर होती है। दूसरे शब्दों में, एक लिक्विड मिरर टेलिस्कोप सितारों, आकाशगंगाओं, सुपरनोवा विस्फोटों, क्षुद्रग्रहों से अंतरिक्ष मलबे तक – किसी भी और सभी संभावित खगोलीय पिंडों का सर्वे करेगा और इमेज कैप्चर करेगा।
पारंपरिक दूरबीनों में अत्यधिक पॉलिश किए गए कांच के दर्पण होते हैं जो विशिष्ट रात्रियों में टारगेटेड आकाशीय पिंड पर ध्यान केंद्रित करने के लिए नियंत्रित तरीके से संचालित होते हैं। प्रकाश तब परावर्तित होता है और इसे इमेज बनता है। इसके विपरीत, जैसा कि नाम से स्पष्ट है, लिक्विड मिरर टेलिस्कोप परावर्तक तरल (reflective liquid) जैसे कि पारा से युक्त दर्पणों से बना होता है जिसमें उच्च प्रकाश-परावर्तक क्षमता होती है। लगभग 50 लीटर (700kgs के बराबर) पारा एक कंटेनर में भरकर ILMT के ऊर्ध्वाधर अक्ष (vertical axis) के साथ एक निश्चित स्थिर गति से घुमाया जाएगा। इस प्रक्रिया के दौरान, पारा कंटेनर में एक पतली परत के रूप में फैल जाएगा जो एक परवलयिक आकार (paraboloid-shaped) की परावर्तक सतह बनाता है जो अब दर्पण के रूप में कार्य करेगा। ऐसी सतह प्रकाश को संग्रहित करने और केंद्रित करने के लिए आदर्श है।
दोनों के बीच एक और अंतर ऑपरेशनल समय को लेकर है। जहां पारंपरिक टेलीस्कोप अध्ययन की आवश्यकता के अनुसार निश्चित घंटों के लिए टारगेटेड आकाशीय पिंड स्रोतों का निरीक्षण करते हैं। वहीं ILMT सभी रात्रियों में आकाश की छवियों को कैप्चर करेगा।