AMPRI ने रेड मड को एक्स-रे शील्डिंग टाइल्स में बदला
भोपाल स्थित CSIR-एडवांस्ड मैटेरियल तथा प्रोसेस रिसर्च इंस्टिट्यूट (AMPRI) ने एक निश्चित वजन प्रतिशत में हाई Z पदार्थ (अधिक परमाणु संख्या वाले पदार्थ) और जोड़ने वाले पदार्थ को मिलाकर सिरेमिक रूट के जरिए पर्यावरण अनुकूल और आर्थिक रूप से व्यवहार्य तरीके से रेड मड (red mud) को एक्स-रे शील्डिंग टाइल्स में परिवर्तित किया है।
12 मिमी मोटी टाइल्स में 100 केवी पर 2.1 मिमी लेड के बराबर क्षीणता होती है।
रेड मड के बारे में
- रेड मड बॉक्साइट से एल्यूमिना उत्पादन की बेयर प्रक्रिया में उत्पन्न अपशिष्ट है। इसे बॉक्साइट अवशेष के रूप में भी जाना जाता है। रेड मड को “उच्च मात्रा कम प्रभाव अपशिष्ट” (High Volume Low Effect Waste) के रूप में परिभाषित किया गया है।
- बेयर प्रक्रिया के माध्यम से बॉक्साइट अयस्क से एक टन एल्यूमिना के उत्पादन में लगभग 1 से 1.5 टन रेड मड उत्पन्न हो रहा है। इसकी अत्यधिक क्षारीयता और अलग हुए भारी तत्व के कारण इसे विषैला माना जाता है।
- विश्व स्तर पर सालाना लगभग 17.5 करोड़ टन रेड मड उत्पन्न होती है और मिट्टी के द्वारा घेरे गए विशेष रूप से डिजाइन किए गए तालाब में संग्रहीत होती है। इनमें भारत हर साल करीब 90 लाख टन रेड मड का उत्पादन कर रहा है। ये विशेष तालाब अक्सर टूट जाते हैं और मिट्टी, भूजल और हवा को प्रदूषित करते हैं और मनुष्यों और वन्यजीवों, दोनों के लिए घातक हो जाते हैं।
- रेड मड कम उपयोग किए गए औद्योगिक कचरे में से एक है और एल्यूमिना उत्पादन में बढ़त होने और इसके इस्तेमाल के लिए पर्याप्त प्रौद्योगिकियां न होने की वजह से वर्षों से इसकी मात्रा बढ़ रही है।
- हालांकि वैज्ञानिक समुदाय ने रेड मड के 700 से अधिक उपयोगों का पेटेंट कराया है, लेकिन बहुत ऊंची लागत, लोगों के बीच कम स्वीकृति, पर्यावरणीय मुद्दों और सीमित बाजार के कारण इसमें से कुछ ही उद्योगों तक पहुंच पाए हैं।
- उल्लेखनीय है कि उद्योगों द्वारा सीमेंट, ईंटों, लौह अयस्क के स्रोत आदि के उत्पादन के लिए केवल 3-4 प्रतिशत रेड मड का उपयोग किया गया है, (यानी सीमेंट उत्पादन के लिए 10-15 लाख टन (एमटी), लौह उत्पादन के लिए 2-12 लाख टन, और निर्माण सामग्री के लिए 5 -10 लाख टन और पिगमेंट्स, उत्प्रेरक, सिरेमिक आदि बनाने के लिए 3 लाख टन)।
- रेड मड का लाभकारी उपयोग एक वैश्विक मुद्दा बनता जा रहा है। रेड मड में फेरिक ऑक्साइड का हिस्सा 30-55 प्रतिशत होता है, जो X-और गामा किरणों जैसे उच्च-ऊर्जा आयनकारी विकिरणों को क्षीण करने के लिए उपयुक्त है।