हुंगा टोंगा ज्वालामुखी-भारी मात्रा में जलवाष्प उत्सर्जन से ग्लोबल वार्मिंग और ओजोन नुकसान का खतरा

एक नए अध्ययन के अनुसार, दक्षिणी प्रशांत महासागर के भीतर हुंगा टोंगा-हंगा हाआपाई ज्वालामुखी (Hunga Tonga-Hunga Ha’apai volcano), जिसमें 15 जनवरी, 2022 को विस्फोट हुआ था, ने पृथ्वी के वायुमंडल में 58,000 ओलंपिक आकार के स्विमिंग पूल के जितना जल वाष्प (water vapor) बनाने लायक पानी बाहर फेंका। इससे वायुमंडल में बड़ी मात्रा में जल वाष्प प्रवेश कर गया है। शोधकर्ताओं ने नासा के ऑरा उपग्रह (Aura satellite) द्वारा एकत्र किए गए डेटा का उपयोग समताप मंडल में पानी की मात्रा का आकलन करने के लिए किया।

क्या हो सकते हैं प्रभाव?

आम तौर पर, बड़े ज्वालामुखी विस्फोट से बड़ी मात्रा में राख और गैसें निकलती हैं, जैसे कि सल्फर डाइऑक्साइड, जो वातावरण में परावर्तक यौगिक (reflective compounds) बना सकती है। ये ज्वालामुखी उपोत्पाद सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी की सतह तक पहुंचने से रोक देते हैं, जिससे वातावरण ठंडा हो सकता है।

हालांकि, टोंगा विस्फोट ने समान आकार के विस्फोटों की तुलना में सल्फर डाइऑक्साइड कम उत्सर्जित किया है, और इससे उत्सर्जित गई अधिकांश राख जल्दी से जमीन पर वापस गिर गई। इससे कूलिंग इफ़ेक्ट पैदा नहीं हुआ

अध्ययन में कहा गया है, कि टोंगा की वजह से वायुमंडल में प्रवेश कर गए जल वाष्प ज्वालामुखी के विस्फोट का सबसे विनाशकारी हिस्सा हो सकता है क्योंकि यह ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ा सकता है और ओजोन परत को नुकसान पहुंचा सकता है।

शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि यह अतिरिक्त जल एक विकिरण प्रभाव पैदा कर सकता है जो ग्रीनहाउस गैसों की तरह वातावरण को गर्म कर सकता है। क्योंकि अन्य ज्वालामुखी गैसों की तुलना में टोंगा से उत्सर्जित पानी अधिक समय वायुमंडल में बने रहने की संभावना है। पानी का वार्मिंग प्रभाव संभवतः गैसों के किसी भी शीतलन प्रभाव को खत्म कर देगा।

शोधकर्ताओं के अनुसार टोंगा विस्फोट संभवतः पृथ्वी पर शीतलन प्रभाव (cooling effects) के बजाय वार्मिंग (warming effect) प्रभाव पैदा करने वाला पहला विस्फोट होगा।

जल वाष्प में इतनी तेज वृद्धि समताप मंडल में ओजोन की मात्रा को कम कर सकती है, इस प्रकार ओजोन परत को कमजोर कर सकती है जो पृथ्वी पर जीवन को सूर्य से पराबैंगनी विकिरण को नुकसान पहुंचाने से बचाती है।

स्ट्रैटोस्फेरिक पानी, या H2O, समय के साथ OH (हाइड्रो-ऑक्साइड) आयनों में टूट सकता है। वे आयन पानी और ऑक्सीजन बनाने के लिए ओजोन के साथ प्रतिक्रिया कर सकते हैं, जो तीन ऑक्सीजन परमाणुओं से बना है।

शोधकर्ताओं का यह भी मानना ​​है कि बढ़े हुए जलवाष्प से वातावरण में मीथेन की मात्रा कम हो सकती है, जो जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार मुख्य ग्रीनहाउस गैसों में से एक है।

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