स्पेक्ट्रम नीलामी: बैंड की विशेषताएं

हाल में स्पेक्ट्रम (Spectrum) की नीलामी तीन बैंडों निम्न (600, 700, 800, 900, 1800, 2,100 और 2,500 मेगाहर्ट्ज बैंड से मिलकर), माध्यम (3,300 मेगाहर्ट्ज) और उच्च (26 गीगाहर्ट्ज़ – 1 गीगाहर्ट्ज़ 1000 मेगाहर्ट्ज के बराबर) फ्रीक्वेंसी में हुई।

लो-बैंड स्पेक्ट्रम व्यापक कवरेज प्रदान करने के लिए लोकप्रिय है, हालांकि, गति और विलंबता (लेटेंसी) के मामले में यह 4G से थोड़ी बेहतर सुविधा प्रदान करती है। इसकी स्पीड इस बात पर निर्भर करती है कि यह स्रोत से कितना निकट है।

दूसरी ओर, हाई बैंड स्पेक्ट्रम दो Gbps तक की स्पीड प्रदान कर सकता है, लेकिन यह लंबी दूरी तक सेवा नहीं दे सकता। कई मामलों में तो एक मील से भी कम दूरी की यात्रा करने में यह असमर्थ होता है।

इसके अतिरिक्त, लो-बैंड स्पेक्ट्रम से सिग्नल खिड़कियों और दीवारों की बाधाओं को पार कर सकता है जो कि हाई-बैंड के मामले में नहीं है।

मिड-बैंड स्पेक्ट्रम दोनों के बीच स्थित है। यह लंबी दूरी पर बड़ा डेटा ले जा सकता है और बढ़ी हुई गति बनाए रख सकता है।

मिड और हाई-बैंड ने नीलामी में सबसे अधिक ध्यान आकर्षित किया, जिसमें उपलब्ध स्पेक्ट्रम का क्रमशः 76% और 72% बेचा गया।

भारती एयरटेल और रिलायंस जियो ने संयुक्त रूप से, इन दो बैंडों में कुल खरीदे गए स्पेक्ट्रम के 87 फीसदी पर दावा किया जो 5G बाजार में उनकी परिचालन क्षमता को मजबूत करेगा।

स्पेक्ट्रम के लिए बोली लगाते समय दूरसंचार कंपनियां अपनी मौजूदा वित्तीय स्थिति और प्राथमिकताओं पर ध्यान देती हैं। इस प्रकार, नीलामी में शामिल सभी स्पेक्ट्रम नहीं बिक पाती है। उदाहरण के लिए, 2016 और 2021 में 700 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम नहीं बिका। इस बार, Jio इस ‘प्रीमियम बैंड’ पर 39,270 करोड़ खर्च करने वाली एकमात्र कंपनी के रूप में उभरी, जिसे इनडोर और ग्रामीण कवरेज में सुधार के साथ-साथ दीवारों के पार जाकर प्रभावी ढंग से सेवा प्रदान करने के लिए जाना जाता है।

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