सेबी ने सतत्त वित्त के रूप में ब्लू बॉन्ड (Blue Bonds) का प्रस्ताव किया
भारतीय बाजार विनिमयम सेबी (SEBI) ने ब्लू बॉन्ड (blue bonds) की अवधारणा को सतत्त वित्त (sustainable finance) के एक तरीके के रूप में प्रस्तावित किया है। इसमें कहा गया है कि इस तरह की सिक्योरिटीज का उपयोग ब्लू इकोनॉमी से संबंधित विभिन्न गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए किया जा सकता है, जिसमें समुद्री संसाधन खनन और सतत रूप से मछली पकड़ना शामिल है।
सेबी द्वारा जारी परामर्श पत्र के अनुसार, हरित ऋण प्रतिभूतियों (green debt securities) की परिभाषा को बढ़ाकर और डिस्क्लोज़र को बढ़ाकर ग्रीन बांड के ढांचे को मजबूत करने का भी सुझाव दिया है।
इन प्रस्तावों का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय पूंजी बाजार संघ (International Capital Market Association: ICMA) द्वारा प्रकाशित नए ग्रीन बॉन्ड सिद्धांतों (Green Bond Principles) के साथ तालमेल बिठाना है।
क्या होता है ब्लू बॉन्ड?
ब्लू बॉन्ड महासागर वित्तपोषण ( ocean financing instrument) का एक नया अनूठा एक तरीका है जिसके द्वारा जुटाई गई धनराशि को विशेष रूप से महासागर के अनुकूल समझी जाने वाली परियोजनाओं में निवेश किया जाता है।
पारंपरिक बॉन्ड की तरह, निवेशक ब्लू बॉन्ड जारीकर्ता को पैसा उधार देते हैं, जो हर साल बांड की अवधि के लिए ब्याज और एक निश्चित दिन पर पूंजी चुकाने के लिए सहमत होता है।
ब्लू बॉन्ड में, सतत ब्लू इकोनॉमी प्रोजेक्ट्स में निवेश से कमाई होती है। इसके अलावा, ब्लू बॉन्ड जारी करने से निवेशक अपनी कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारियों (corporate social responsibilities) को पूरा कर सकते हैं और महासागर और मानव जाति के लिए लाभ पैदा कर सकते हैं।
ब्लू बांड सरकारों, बैंकों या निगमों द्वारा जारी किए जा सकते हैं। यह क्विक स्टार्ट गाइड सॉवरेन ब्लू बॉन्ड पर केंद्रित है, जिसे सरकारों या संबद्ध संस्थानों द्वारा जारी किया जा सकता है।
वर्ष 2018 में, सेशेल्स गणराज्य ने दुनिया का पहला सॉवरेन ब्लू बॉन्ड (Seychelles launched the world’s first sovereign blue bond) लॉन्च किया था। विश्व बैंक ने सेशेल्स को बांड डिजाइन करने में मदद की।
तब से, नॉर्डिक और बाल्टिक देशों के अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान, नॉर्डिक इन्वेस्टमेंट बैंक ने अपशिष्ट जल उपचार, जल प्रदूषण की रोकथाम और पानी से संबंधित जलवायु परिवर्तन अनुकूलन जैसी परियोजनाओं के लिए SEK2 बिलियन जुटाने के लिए “नॉर्डिक-बाल्टिक ब्लू बॉन्ड” लॉन्च किया।
भारत में 7,500 किलोमीटर लंबी तटरेखा और 14,500 किलोमीटर नौवहन योग्य अंतर्देशीय जलमार्ग हैं, और ब्लू इकॉनमी का विकास, विकास उत्प्रेरक के रूप में काम कर सकता है।