सेबी ने इनसाइडर ट्रेडिंग रेगुलेशन में म्युचुअल फंड यूनिट्स को भी किया शामिल
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI ) ने 30 सितंबर को अपनी बोर्ड की बैठक में सेबी (इनसाइडर ट्रेडिंग का निषेध) विनियम, 2015 (SEBI (Prohibition of Insider Trading) Regulations, 2015) में म्यूचुअल फंड इकाइयों को शामिल करने का निर्णय लिया है।
वर्तमान में, इनसाइडर ट्रेडिंग नियम लिस्टेड कंपनियों या लिस्टेड होने के लिए प्रस्तावित सिक्युरिटीज के अप्रकाशित प्राइस सेंसिटिव इन्फॉर्मेशन (UPSI) का नॉलेज होने होने पर लागू होते हैं।
म्यूचुअल फंड इनसाइडर ट्रडिंग में शामिल करने का सेबी का निर्णय हाल की कुछ घटनाओं पर आधारित है जिसमें म्यूचुअल फंड हाउस या म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री इको-सिस्टम के हिस्से के अधिकारियों ने फंड हाउस के भीतर उथल-पुथल होने पर अपनी यूनिट्स बेच दी थीं। इससे न्यूज़ के मार्किट में आने और रियेक्ट होने से पहले उन्हें अपनी यूनिट्स बेचकर निकलने का मौका मिला गया।
फ्रैंकलिन टेम्पलटन प्रकरण में, फंड हाउस के कुछ अधिकारियों पर छह ऋण योजनाओं के बंद होने से पहले अपनी हिस्सेदारी को बेचने का आरोप लगाया गया था।
हालांकि सेबी (इनसाइडर ट्रेडिंग का निषेध) विनियम, 2015 फंड मैनेजरों और पोर्टफोलियो मैनेजरों और फंड उद्योग के वरिष्ठ अधिकारियों को आंतरिक जानकारी होने पर खरीदने और बेचने पर रोक लगाता है, लेकिन म्यूचुअल फंड इकाइयों को बेचने के लिए उन पर कोई रोक नहीं थी। लेकिन अब वे भी इसके दायरे में आ गए हैं।
इनसाइडर ट्रेडिंग
इनसाइडर ट्रेडिंग (insider trading) एक कंपनी के अंदरूनी सूत्रों द्वारा इक्विटी और बॉन्ड जैसी प्रतिभूतियों को बेचने या खरीदने का कदाचार है, जिसमें कर्मचारी, कार्यकारी निदेशक र प्रमोटर शामिल हैं।
इस तरह के कृत्यों को रोकने और आम निवेशकों के हित के लिए बाजार में निष्पक्ष कारोबार को बढ़ावा देने के लिए, शेयर बाजार नियामक सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) ने फर्मों को सेकेंडरी मार्केट से अपने स्वयं के शेयर खरीदने के लिए प्रतिबंधित कर दिया है।