लद्दाख में लेह बेरी/सी-बकथॉर्न का वाणिज्यिक उत्पादन
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने “लेह बेरी” (Leh Berry) के वाणिज्यिक वृक्षारोपण को शुरू करने का निर्णय लेने के लिए लद्दाख प्रशासन की सराहना की, जो पूरे क्षेत्र में लोकप्रिय हो रहा है।
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तत्वावधान में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) “लेह बेरी” को बढ़ावा दे रही है जो ठंडे रेगिस्तान (cold desert) का एक विशेष खाद्य उत्पाद है और व्यापक उद्यमिता के साथ-साथ स्वयं-आजीविका का भी साधन है।
‘सी-बकथॉर्न’ (sea buckthorn) को “लेह बेरी” कहा जाता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा ‘बकथॉर्न’ (sea buckthorn) के पौधे से स्थानीय उद्यमियों को जैम, जूस, हर्बल चाय, विटामिन सी जैसे लगभग 100 उत्पादों की खेती, प्रसंस्करण और विपणन के माध्यम से लाभकारी रोजगार प्रदान किया जाएगा।
सी-बकथॉर्न’/sea buckthorn (Hippophae rhamnoides) Elaegnaceae परिवार से संबंधित एक पर्णपाती झाड़ी है।
यह झाड़ी दुनिया के समशीतोष्ण क्षेत्रों में मुख्य रूप से मंगोलिया, चीन, तिब्बत, रूस, कनाडा, भारत, पाकिस्तान और नेपाल में प्राकृतिक विकास का परिणाम है।
इसका पौधा कठोर होता है और यह -43ºC से 40ºC तक अत्यधिक तापमान का सामना कर सकता है और इसे सूखा सहिष्णु (drought tolerant) भी माना जाता है।
सीबकथॉर्न बेरी सभी फलों में सबसे अधिक पौष्टिक होते हैं।
फल का रस चीनी, कार्बनिक अम्ल, अमीनो एसिड, आवश्यक फैटी एसिड, फाइटोस्टेरॉल, फ्लेवोनोइड्स, विटामिन और खनिज तत्वों से भरपूर होता है।
पौधे को घोड़ों के उपचार के रूप में जाना जाता है।
देश में सीबकथॉर्न के तहत कुल क्षेत्रफल (13,000 हेक्टेयर) के 70% से अधिक लद्दाख में है जो प्राकृतिक सीबकथॉर्न संसाधन के लिए प्रमुख स्थल बना हुआ है।