रॉटरडैम कन्वेंशन- Iprodione और Terbufos के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को ‘प्रायर इन्फॉर्मड कंसेंट’ में शामिल किया गया
दो नए खतरनाक कीटनाशकों – Iprodione और Terbufos – के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को रॉटरडैम कन्वेंशन के तहत “पूर्व सूचित सहमति” (prior informed consent: PIC) प्रक्रिया के माध्यम किए जाने की अनुशंसा की गई है।
रासायनिक समीक्षा समिति द्वारा 22 सितंबर, 2022 को रोम में आयोजित रॉटरडैम कन्वेंशन (Rotterdam convention) की रासायनिक समीक्षा समिति (CRC-18) की 18 वीं बैठक में इसकी सिफारिशें की गईं।
रासायनिक समीक्षा समिति (CRC 17) की 17वीं बैठक में रॉटरडैम कन्वेंशन के अनुबंध III में सूचीबद्ध करने के लिए इन दो कीटनाशकों की सिफारिश की गई थी।
Iprodione और Terbufos के बारे में
Iprodione और Terbufos रसायन मनुष्यों और जलीय जानवरों के लिए हानिकारक हैं।
इप्रोडियोन (Iprodione) एक कवकनाशी (fungicide) है। इसका उपयोग बेलों, फलों, पेड़ों और सब्जियों पर किया जाता है। इसे रिप्रोडक्शन के नुकसानदेह और कैंसरजनक के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
टर्बुफोस (Terbufos) एक मृदा कीटनाशक है। यह आमतौर पर ज्वार, मक्का, चुकंदर और आलू के पौधों में इस्तेमाल किया जाता है। यह जलीय जीवों के लिए भी खतरनाक पाया गया है।
दोनों कीटनाशक, जो कृषि में उपयोग किए जाते हैं, मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए हानिकारक प्रभावों के लिए जाने जाते हैं।
भारत में वर्ष 2015 अनुपम वर्मा समिति की रिपोर्ट द्वारा इन रसायनों के उपयोग की अनुमति दी गई थी।
भारत Terbufos के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है।
रॉटरडैम कन्वेंशन ( Rotterdam Convention) क्या है?
24 फरवरी, 2004 को लागू होने वाली पूर्व सूचित सहमति प्रक्रियाओं (prior informed consent) पर रॉटरडैम कन्वेंशन एक कानूनी रूप से बाध्यकारी कन्वेंशन है। इसे रॉटरडैम सम्मेलन में 10 सितंबर 1998 को अपनाया गया था।
भारत 24 मई 2006 को कन्वेंशन में शामिल हुआ।
कन्वेंशन मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को संभावित नुकसान से बचाने के लिए कुछ खतरनाक रसायनों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में पक्षकार देशों के बीच साझा जिम्मेदारी और सहकारी प्रयासों को बढ़ावा देने का प्रयास करता है।
‘पूर्व सूचित सहमति’ (prior informed consent: PIC) प्रक्रिया क्या है?
PIC प्रक्रिया भविष्य में खतरनाक रसायनों के आयातक देशों के निर्णयों को औपचारिक रूप से प्राप्त करने और प्रसारित करने के लिए एक तंत्र है जिससे यह जाना जा सके कि क्या वे भविष्य में इसकी शिपमेंट प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं।
दरअसल इसके माध्यम से इन रसायनों के उपयोग के खतरों के बारे में बताया जाता है ताकि आयात करने वाले देश जान सके कि ये रसायन खतरनाक हैं।