माणगांव (Mangaon) का ऐतिहासिक महत्व
महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के दो गांवों द्वारा विधवाओं को बहिष्कृत करने वाली सदियों पुराने रूढ़िवादी अनुष्ठानों पर प्रतिबंध लगाने वाला एक प्रस्ताव पारित किया गया है। यह प्रस्ताव अब महिलाओं के लिए राज्य की नीति का हिस्सा बनने जा रहा है। महाराष्ट्र दिवस (1 मई) के अवसर पर शिरोल तहसील के हेरवाड़ गांव और कोल्हापुर जिले की हटकनगले तहसील में ऐतिहासिक माणगांव (Mangaon) ने ग्राम सभाओं में इससे संबंधित प्रस्ताव पारित किया।
- माणगाँव पहले से ही समाज सुधार आंदोलन के इतिहास में एक विशेष स्थान रखता है।
- बाबासाहेब अम्बेडकर और छत्रपति शाहू महाराज ने 21 मार्च, 1920 को माणगाँव में अस्पृश्यता के खिलाफ पहला संयुक्त सम्मेलन (first joint conference against untouchability) आयोजित किया था।
- हाल ही में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि गाँव की कोई भी महिला विधवा होने के दर्दनाक अनुष्ठानों से नहीं गुजरेगी।
- जब पति की मृत्यु हो जाती है, तो एक महिला को उसके सिंदूर को पोंछने, उसका मंगलसूत्र निकालने, उसकी चूड़ियाँ तोड़ने और पैर की अंगूठी निकालने जैसे अनुष्ठानों से गुजरना पड़ता है। इसी तरह, उसे किसी भी धार्मिक या सामाजिक उत्सवों में जाने से रोक दिया जाता है और एक विवाहित महिला के रूप में उसकी सामाजिक स्थिति छीन ली जाती है। \इस तरह के अनुष्ठान उसे उसके अधिकारों से वंचित करते हैं और मानवाधिकारों का उल्लंघन करते हैं।
- इन गावों ने इस तरह के किसी भी अनुष्ठान पर प्रतिबंध लगा दिया है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि विधवाएं भी किसी अन्य महिला की तरह जीवन जी सकें।
(Source: The Hindu)
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