भारत वेनेजुएला से पेटकोक खरीद रहा है
हाल की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय कंपनियां पहली बार वेनेजुएला से पेट्रोलियम कोक (petroleum coke) का अधिक मात्रा में आयात कर रही हैं, क्योंकि ओपेक राष्ट्र वेनेजुएला से निर्यात पर अमेरिकी प्रतिबंधों अधिक टार्गेटेड नहीं ।
विश्व में कोयले की कीमतों में वृद्धि की वजह से भारतीय कंपनियां सस्ते विकल्पों की ओर जा रही है और वेनेजुएला से आयात पेटकोक (petcoke) उन विकल्पों में से एक है।
संयुक्त राज्य अमेरिका और सऊदी अरब, भारत के लिये पेटकोक के प्रमुख आपूर्तिकर्ता हैं लेकिन वेनेजुएला के पेटकोक, संयुक्त राज्य अमेरिका से 5-10 प्रतिशत की छूट पर प्राप्त हो रहे हैं।
वर्ष 2022 की शुरुआत में भारत को वेनेजुएला से पेटकोक का पहला कार्गो प्राप्त हुआ था।
हालांकि एक टन पेटकोक कोयले की तुलना में अधिक महंगा पड़ता है, लेकिन जलाने पर अधिक ऊर्जा पैदा करता है। आमतौर पर जहरीले उत्सर्जन के कारण पेटकोक को ईंधन के रूप में उपयोग नहीं किया जाता है, लेकिन सीमेंट उद्योग द्वारा इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है जो इसका सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है।
सीमेंट उद्योग में पेटकोक दहन के दौरान सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जन चूना पत्थर द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है जिससे इसकी बड़ी समस्या का समाधान हो जाता है।
पेटकोक क्या है?
पेटकोक एक उपोत्पाद है जब तार रेत (tar sands) में पाए जाने वाले बिटुमेन को कच्चे तेल में रिफाइन किया जाता है। बिटुमेन में आम कच्चे तेल की तुलना में अधिक संख्या में कार्बन परमाणु होते हैं और ये परमाणु ऊष्मा का उपयोग करके बड़े हाइड्रोकार्बन अणुओं से प्राप्त होते हैं, जो पेटकोक बनाते हैं।
पेटकोक एक अत्यंत स्थिर ईंधन है जिसका अर्थ है कि परिवहन के दौरान दहन का खतरा कम होता है, लेकिन इसमें उच्च कार्बन कंटेंट के कारण जब यह दहन करता है तो यह सामान्य कोयले की तुलना में 10% अधिक CO2 प्रति यूनिट ऊर्जा छोड़ता है जो किसी भी अन्य ऊर्जा स्रोत से अधिक है और ग्रीनहाउस गैसों के निर्माण में पेटकोक का बहुत बड़ा योगदान है।
यह सिर्फ कार्बन नहीं है जो पेटकोक को पर्यावरणीय चिंता का विषय बनाता है। निम्न श्रेणी के पेटकोक में अधिक सल्फर पाए जाते हैं। पेटकोक दहन के दौरान प्रदूषण को बढ़ने से रोकने के लिए इन सल्फर को कैप्चर करने की जरुरत पड़ती है ।
पेटकोक में मौजूद भारी धातु सामग्री भी चिंता का विषय है क्योंकि पेटकोक के जलने पर यह हवा में प्रवेश कर जाता है। पेटकोक स्टील और एल्यूमीनियम उद्योग के लिए इलेक्ट्रोड बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
लेकिन विश्व स्तर पर निर्मित अधिकांश पेटकोक, लगभग 75-80%, बहुत निम्न श्रेणी का है, जिसमें सल्फर और भारी धातुओं का उच्च स्तर होता है और इसका उपयोग केवल ईंधन के रूप में किया जाता है।